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saurabh bharadwaj Photograph: (social media)
आम आदमी पार्टी ने पुलिस अधिकारी को थाने से ही गवाही देने की अनुमति देने वाली उपराज्यपाल की अधिसूचना का कड़ा विरोध किया है। ‘आप’ दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज के अनुसार, एलजी साहब के इस आदेश ने पूरी न्याय व्यवस्था का मजाक बना दिया है। यह पूरी तरह से अवैध और गैर कानूनी है। अब पुलिस अधिकारी थाने में बैठकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही दे सकेंगे। इसके विरोध में दिल्ली की सभी जिला अदालतों में हड़ताल जारी है। दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की बार एससोएिशन ने भी इसका विरोध किया है और एलजी से आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
13 अगस्त को लाया गया नोटिफिकेशन
आम आदमी पार्टी के एडवोकेट विंग के दिल्ली अध्यक्ष संजीव नासियार समेत अन्य वकीलों के साथ पार्टी मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब केंद्र सरकार भारतीय न्याय संहिता लाई थी, तब ‘आप’ एडवोकेट विंग ने कुछ सवाल उठाए थे और उन सवालों पर केंद्र सरकार से बातचीत भी हुई थी। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के गृह सचिव ने लिखित आश्वासन दिया था कि कोर्ट के साक्ष्य को पुलिस थाने से नहीं दे सकते। इसके बावजूद 13 अगस्त को दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना एक नोटिफिकेशन लेकर आए। इसमें कहा गया कि पुलिस अधिकारी अपना बयान दर्ज कराने अदालत नहीं आएगा। वह अपने थाने में बैठ कर बयान दर्ज कराएगा।
अधिसूचना पूरी तरह से व्याय व्यवस्था का मजाक है: सौरभ भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पुलिस पर बहुत आरोप लग रहे हैं कि वह झूठे मुकदमें बनाती है, सरकार के दबाव में झूठे मुकदमें दर्ज किए जाते हैं। वकील समाज के लिए खड़े होकर पुलिस से जिरह करके कोर्ट के सामने यह निकालते हैं कि बयान गलत है। अब अगर पुलिस अधिकारी थाने में बैठा होगा और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जज के सामने उसका बयान दर्ज दर्ज होगा तो शपथ कहां कराएंगे? वकील पुलिस अधिकारी से जिरह कैसे करेंगे? अगर वकील ने कोई तीखा प्रश्न पूछ लिया और पुलिस अधिकारी की पूरी गवाही खराब हो रही है तो वह कैमरा बंद कर देगा और कहेगा कि इंटरनेट चला गया। फिर अगली सुनवाई में तैयारी करके आएगा। यह अधिसूचना पूरी तरह से व्याय व्यवस्था का मजाक है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलजी की इस अधिसूचना के खिलाफ जिला न्यायालय ने तीन दिन की हड़ताल की थी। यह हड़ताल सोमवार तक रहेगी। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पास करके हड़ताल का समर्थन करते हुए एलजी से अधिसूचना को तुरंत लेने की मांग की है। इसी तरह, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी अधिसूचना वापस लेने की मांग की है।
एडवोकेट विंग के दिल्ली अध्यक्ष ने क्या कहा
आम आदमी पार्टी के एडवोकेट विंग के दिल्ली अध्यक्ष संजीव नासियार ने कहा कि जब बीएनएस के नाम पर कानून बने थे। वकीलों ने भारी विरोध किया था। बीएनएस के खिलाफ पूरी दिल्ली की अदालतों में हड़ताल हुई थी। इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री ने बैठक बुलाई। दिल्ली बार काउंसिल में निर्वाचित सदस्य होने के नाते वे खुद मीटिंग में मौजूद था। वकीलों को बीएनएस के दूसरे प्रावधानों पर आपत्ति थी। बीएनएस कानून आने के बाद पुलिस की शक्तियां बढ़ गई हैं। आम जनता के अधिकारों को छीना गया है। वकीलों के पास कोर्ट के अंदर पीड़ित को न्याय दिलवाने की जिम्मेदारी होती है और न्याय के अंदर ये बाधाएं हैं।