यमुना नदी की सफाई और पुनर्जीवन को लेकर दिल्ली-NCR में अब अभूतपूर्व स्तर पर कार्य किया जा रहा है. केंद्र और राज्य सरकारों की साझा रणनीति के तहत जल शुद्धिकरण, सीवेज प्रबंधन और औद्योगिक अपशिष्ट नियंत्रण पर विशेष बल दिया गया है. हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश
- तीनों राज्यों ने अपनी-अपनी कार्ययोजनाएं समयबद्ध लक्ष्य के साथ निर्धारित की हैं.
हरियाणा
हरियाणा सरकार ने शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में जल व अपशिष्ट जल प्रबंधन को लेकर कई ठोस पहल की हैं.
• प्रदेश में Highly Polluting Industries की तीसरी-पक्ष निगरानी मार्च 2026 तक अनिवार्य की गई है.
• 17 STPs के उन्नयन का कार्य दिसंबर 2026 तक पूरा किया जाएगा, जबकि इन STPs की वर्तमान उपयोग क्षमता लगभग 60% है जिसे बढ़ाया जाएगा.
• गुरुग्राम (90 MLD) और फरीदाबाद (227 MLD) में नए STPs की स्थापना की जाएगी, जिनकी पूर्णता समयसीमा मार्च 2028 रखी गई है.
• 55 छोटे नालों के जल का उपचार भी मार्च 2028 तक सुनिश्चित किया जाएगा.
• औद्योगिक अपशिष्ट के लिए 7 नए CETPs (कुल क्षमता 125 MLD) बनाए जाएंगे.
दिल्ली
दिल्ली सरकार ने यमुना में वास्तविक जल प्रवाह (ई-फ्लो) बढ़ाने के लिए कई वैज्ञानिक योजनाएं अपनाई जा रही हैं:
• Coronation Pillar और Yamuna Vihar STPs से संयुक्त रूप से 773 MLD शुद्ध जल यमुना में डाला जाएगा (समाप्ति: सितंबर 2026).
• Okhla STP से 563 MLD जल फरवरी 2026 तक ओखला बैराज के नीचे छोड़ा जाएगा.
• STPs से शुद्ध जल अब नालों में नहीं, बल्कि बंद पाइपलाइनों (closed conduits) से सीधे यमुना में भेजा जाएगा.
• 8 नई STP परियोजनाएं (कुल क्षमता 285 MGD), 40 DSTP (92 MGD क्षमता) और 6 ड्रेन-मुहाने STPs की स्थापना प्रस्तावित है.
• Sludge (गाद) प्रबंधन और डेयरियों में बायोगैस प्लांट की योजना अगस्त 2027 और जून 2027 तक पूरी होगी.
• रेणुकाजी, लखवार और किसाऊ जैसे बांधों से गैर-मानसून अवधि में यमुना में जल आपूर्ति को प्राथमिकता दी जा रही है.
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी पश्चिमी यूपी के यमुना तटीय जिलों में कई योजनाएं प्रारंभ की हैं:
• आगरा के 43 नालों को टैप करने का कार्य फरवरी 2026 तक पूरा किया जाएगा.
• वृंदावन, मथुरा, छाता और कोसी में STP/I&D कार्य 2026-27 तक संपन्न होंगे.
• EYC के माध्यम से यमुना में जल प्रवाह सुधार हेतु रुड़की, भैंसवाला, बरौत व जावली से कुल 1100 क्यूसेक जल यमुना में प्रवाहित किया जाएगा.
• यह जल आगरा नहर के माध्यम से यमुना में लाया जाएगा.
• वजीराबाद क्षेत्र से अब दिल्ली जल बोर्ड को जल नहीं मिलेगा, ताकि शुद्ध जल सीधे यमुना में छोड़ा जा सके.
औद्योगिक और डेयरी अपशिष्ट पर सख्ती
दिल्ली-NCR में औद्योगिक अपशिष्ट और डेयरी व गाद प्रबंधन को लेकर अब कठोर निगरानी लागू की जा रही है:
• दिल्ली के 17 अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में 13 CETPs कार्यरत हैं, जबकि 27 गैर-अधिसूचित क्षेत्रों के लिए CETP योजना दिसंबर 2025 तक पूरी होगी.
• गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम जैसे शहरों में NMCG और CPCB द्वारा तीसरे पक्ष की निगरानी हो रही है.
• Peri-urban क्षेत्रों में STP और जल पुनः उपयोग प्रणाली की स्थापना जून 2027 तक की जाएगी.
• डेयरियों के लिए बायोगैस प्लांट या बंदी की प्रक्रिया MCD और NMCG द्वारा क्रियान्वित की जा रही है.