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अनिल बैजल( Photo Credit : न्यूज स्टेट)
उपराज्यपाल (एलजी) के आदेश पर दिल्ली के 108 अधिकारियों को अनिवार्य रूप से रिटायरमेंट पर भेज दिया गया है. दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से 14, नगर निगम MCD से 61, दिल्ली सरकार से 33 अधिकारियों को रिटायरमेंट पर भेज दिया गया है. 108 अधिकारियों पर गाज गिरी है. बताया जाता है कि ये वो अधिकारी हैं जो या तो निष्क्रिय या तो भ्रष्टाचार में संलिप्त थे. उपराज्यपाल ने इन सभी अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए रिटायरमेंट पर भेज दिया है. एलजी ने पब्लिक हित में यह कदम उठाया है.
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Office of the Lieutenant Governor of Delhi: Till 31st October, 2019, 108 officers/officials of DDA, Municipal Corporations, Services Department & other departments/Autonomous Bodies of Govt of NCT have been compulsorily retired, in public interest, by the appropriate authority.
— ANI (@ANI) October 31, 2019
वहीं इस मामले में दिल्ली सरकार बनाम उप राज्यपाल मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उप राज्यपाल (एलजी) को दिल्ली में सेवाओं को नियंत्रित करने की शक्ति है. इन शक्तियों को दिल्ली के प्रशासक को सौंपा गया और सेवाओं को उनके माध्यम से प्रशासित किया जा सकता है. केंद्र ने यह भी कहा कि जब तक भारत के राष्ट्रपति स्पष्ट रूप से निर्देशित नहीं करते, एलजी, जो दिल्ली के प्रशासक हैं, मुख्यमंत्री या मंत्रिमंडल से परामर्श नहीं कर सकते. केंद्र के लिए पेश वकील सीएस सुंदरम ने कहा कि यह शक्तियां भारत संघ द्वारा प्रशासक को सौंपी गई हैं.
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यह पहली बार नहीं हुआ है कि दिल्ली और केंद्र में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें हैं, लेकिन पहली बार सेवाओं के नियंत्रण पर विवाद न्यायालय पहुंचा है. उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता के स्रोत के बिना कार्यकारी शक्तियां नहीं हो सकती एस बालकृष्ण समिति की रिपोर्ट में जो कहा गया उसका अनुवाद GNCTD अधिनियम में किया गया है. इसमें कहा गया था कि कार्यकारी शक्तियां विधायी शक्तियों के साथ सह-अस्तित्व में हैं, लेकिन जब कोई विधायी शक्तियां नहीं होती हैं तो कार्यकारी शक्तियां कहां से आएंगी? सुंदरम ने कहा कि एलजी की शक्तियां राज्यपाल से अलग हैं.