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CM ममता बनर्जी के एक फैसले ने कई राज्यों में आम आदमी की जेब का गणित बिगाड़ कर रख दिया है. दरअसल हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार की सरकार ने राज्य में आलू की कम आवक को देखते हुए दूसरे राज्यों की आलू आपूर्ति को बाधित कर दिया है. इसके चलते आसपास के कई राज्यों में आलू के दाम आमजन का दम निकाल रहे हैं. खासतौर पर छत्तीसगढ़ में, जहां आमतौर पर आलू महज 20 से 25 रुपये के बीच मिल जाता था, वहां अब इसकी कीमत एकाएक 45 से 50 रुपये तक पहुंच चुकी है.
छत्तीसगढ़ में ही सबसे ज्यादा असर क्यों?
दरअसल, छत्तीसगढ़ में भरपूर मात्रा में पश्चिम बंगाल से पहाड़ी आलू आते हैं. तकरीबन प्रति दिन छत्तीसगढ़ में 50 ट्रक आलू का आवक होता है, यानी करीब-करीब 1500 टन. तक, मगर फिलहाल की स्थिति में इसकी आधी संख्या छत्तीसगढ़ में पहुंच रही है. इली के चलते, आलू की कीमत में बेइंतहा इजाफा देखने को मिल रहा है.
समझिए आलू का गुणा-भाग!
मालूम हो कि, आलू सब्जियों के लिए राजा है. चाहे कुछ भी पकाओ, आलू हर जगह सेट हो जाता है. इसकी डिमांड भी हर सीजन में खूब रहती है. आमतौर पर सामान्य समय में आलू थोक में 5 से 10 रुपये किलो तक आसानी से मिल जाता है, जबकि खुदरा बाजार में इसकी कीमत 15 से 20 रुपये तक हो सकती है.
वहीं जब पैदावार ज्यादा हो और आवक भी, तभी इसकी कीमत में 10 रुपये तक गिरावट भी दर्ज की गई है. हालांकि सीजन बीत जाने के बाद इसके दाम बढ़कर 25 से 30 रुपये किलो तक हो जाता है. मगर आलू की कीमत 40 से 50 रुपये तक मिलना, काफी ज्यादा महंगा है. लिहाजा ये आमजन की जेब के लिए बहुत नुकसानदायक है.
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