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छत्तीसगढ़ के बीजापुर स्थित एड़समेटा गांव में छह साल पहले हुई मुठभेड़ की सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जांच करने पहुंची सीबीआई पीड़ितों के बयान दर्ज किए बिना लौट गई.
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छत्तीसगढ़ के बीजापुर स्थित एड़समेटा गांव में छह साल पहले हुई मुठभेड़ की सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जांच करने पहुंची सीबीआई पीड़ितों के बयान दर्ज किए बिना लौट गई. एड्समेटा में सीबीआई जब लोगों से बातचीत कर रही थी तभी उसे मालूम हुआ कि यहां एक जवान पत्रकार बनकर मौजूद है. जिसके बाद सीबीआई अधिकारी भड़क गए और वहां बगैर बयान लिए लौट आए. सीबीआई टीम लीडर सारिका जैन ने ग्रामीणों से बयान लिए बगैर लौटने को लेकर उनसे जताया खेद और किया आश्वस्त कि बयान लेने सीबीआई फिर आयेगी. अलबत्ता सीबीआई टीम ने पीड़ितों को फोन नंबर व गोंडी तथा हिंदी में एक पत्र दिया है, जिसमें अगस्त माह में गंगालूर में बयान दर्ज करने के लिए कहा गया है लेकिन तारीख तय नहीं की गई है.
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शुक्रवार को अनुसंधान अधिकारी सारिका जैन के नेतृत्व में चार सदस्यीय सीबीआई टीम गंगालूर से चार घंटे पैदल चलकर एड़समेटा पहुंची थी. वहां पीड़ित परिवारों के सदस्यों से चर्चा कर बयान दर्ज किए बिना ही लौट आई. सीबीआई को 80 ग्रामीणों के बयान लेने हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर टीम बीजापुर पहुंची थी. पत्र में लिखा है कि घटना के मृतक/घायल के परिजन या मित्र तथा अन्य ग्रामवासी जो किसी प्रकार की जानकारी रखते हों, कथन देने के लिए अपनी सुविधानुसार कार्यालयीन समय में उपस्थित होकर सूचना व साक्ष्य दे सकते हैं. जो उपस्थिति छिपाना चाहते हैं, वे लिखित रूप में या उनके मोबाइल नंबर पर जानकारी दे सकते हैं. हालांकि पत्र में बयान देने के स्थान व तारीख का जिक्र नहीं है.
समाजसेविका सोनी सोढ़ी ने भी जवान की मौजूदगी पर कड़ा एतराज जताया और कहा कि बातचीत के वक्त भी यह जवान वहां था. जब टीम लौट रही थी तब ग्रामीण महिलाओं ने उसका जूता देख पहचाना और पकड़कर सीबीआई के सामने लाया, तब जाकर उसने जवान होना कबूला. सोनी सोढ़ी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने बयान के दौरान किसी भी पुलिस के जवान की मौजूदगी पर सख्त पाबंदी लगाई थी. सोनी सोढ़ी ने मीडिया की उपस्थिति के बारे में सुको के द्वारा किसी तरह के निर्देश न होने की बात भी कही. समाज सेविका सोढ़ी का कहना है कि बड़ी मुश्किलों से 7 किमी से अधिक का सफर पैदल चलकर पहाड़ी व नालों को पार कर सीबीआई का दल एड्समेटा पहुंचा था.
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अगली बार सम्भावना है कि सीबीआई गंगालूर में बयान लेने ग्रामीणों को बुला सकती है, क्योंकि गांव में कम्प्यूटर व टाइपिंग आदि की सुविधा नहीं है. सोनी सोढ़ी ने भी कहा कि वे इस समस्या से ग्रामीणों को अवगत करा उनसे गंगालूर आकर बयान देने का अनुरोध करेंगी. सोनी सोढ़ी एवम याचिकाकर्ता ने एक महिला सीबीआई अफसर के एड़समेटा जैसे अंदरूनी गांव में पैदल जाने को काबिल ए तारीफ बताते हुए कहा कि शुक्रवार को गंगालूर पहुंचते टीम को रात हो गई थी. बताया जा रहा है कि अगस्त में गंगालूर में बयान लेने की नोटिस पीड़ित परिवारों को दी गई है, लेकिन इसका ये कहकर विरोध किया जा रहा है कि बयान गांव में ही हो.
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि सुको के कड़े प्रतिबंध के बाद भी इस जवान ने ये हिम्मत कैसे की ? क्योंकि बिना किसी बड़े समर्थन व प्रोत्साहन के जवान ऐसी जिंदादिली नहीं कर सकता. अभी तक यह भी मालूम नहीं हुआ है कि इस जवान के खिलाफ क्या एक्शन लिया गया है.
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