Chhattisgarh: सरगुजा में फिर गजराज का तांडव, 24 घंटे में तीन की मौत, दहशत में ग्रामीण

Sarguja News: सबसे दर्दनाक घटना लुण्ड्रा वन परिक्षेत्र के चिरगा पंचायत के बेवरा गांव में हुई, जहां सोमवार शाम 60 वर्षीय राम कोरवा और उनकी 35 वर्षीय बेटी प्यारी कोरवा की हाथी के हमले में मौत हो गई.

Sarguja News: सबसे दर्दनाक घटना लुण्ड्रा वन परिक्षेत्र के चिरगा पंचायत के बेवरा गांव में हुई, जहां सोमवार शाम 60 वर्षीय राम कोरवा और उनकी 35 वर्षीय बेटी प्यारी कोरवा की हाथी के हमले में मौत हो गई.

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Yashodhan.Sharma
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सांकेतिक तस्वीर Photograph: (social)

Sarguja: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में जंगली हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते 24 घंटे में एक हाथी ने तीन लोगों की जान ले ली, जिससे पूरे इलाके में दहशत का माहौल है. यह हाथी बलरामपुर जिले के राजपुर वन परिक्षेत्र से भटककर लुण्ड्रा इलाके में पहुंचा है और लगातार ग्रामीण इलाकों में उत्पात मचा रहा है.

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यहां हुई सबसे दर्दनाक घटना

सबसे दर्दनाक घटना लुण्ड्रा वन परिक्षेत्र के चिरगा पंचायत के बेवरा गांव में हुई, जहां सोमवार शाम 60 वर्षीय राम कोरवा और उनकी 35 वर्षीय बेटी प्यारी कोरवा की हाथी के हमले में मौत हो गई. बताया जा रहा है कि दोनों धान की रोपाई के बाद घर लौट रहे थे, तभी रास्ते में हाथी से आमना-सामना हो गया. जान बचाने की कोशिश में दोनों भागने लगे, लेकिन हाथी ने दौड़ाकर उन्हें पटक दिया और बेरहमी से कुचलकर मार डाला. मौके पर ही दोनों की मौत हो गई.

इस घटना से गांव में शोक और भय का माहौल है. वहीं तीसरी मौत की पुष्टि भी वन विभाग ने की है, हालांकि उसकी पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है. वन विभाग की टीम और सरगुजा एसएफओ अभिषेक जोगावत मौके पर पहुंचे और शवों को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा गया.

ग्रामीणों में आक्रोश

हाथी के हमलों से नाराज ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग को एक हफ्ते से हाथी की मौजूदगी की जानकारी दी जा रही थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. लोगों ने मुआवजे से ज्यादा स्थायी समाधान की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों.

फिलहाल, हाथी करांकी और डडगांव की ओर बढ़ गया है, जिससे अन्य गांवों में भी खतरा मंडरा रहा है. वन विभाग की टीम हाथी को जंगल की ओर वापस भेजने की कोशिश में जुटी है, लेकिन लोगों का विश्वास तंत्र से उठता नजर आ रहा है.

लोगों ने की ये अपील

ग्रामीणों का कहना है कि जब तक हाथी को इलाके से नहीं हटाया जाता, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे. साथ ही सरकार से उन्होंने अपील की है कि मानव-हाथी संघर्ष को लेकर दीर्घकालिक नीति बनाई जाए.

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