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भिलाई नर बलि मामले में तांत्रिक दंपति समेत 7 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

23 नवंबर 2011 को छत्तीसगढ़ के भिलाई स्थित रुआबांधा बस्ति में हुए नरबलि प्रकरण के आरोपियों को दी गई फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है.

Updated on: 05 Oct 2019, 12:40 PM

नई दिल्ली:

23 नवंबर 2011 को छत्तीसगढ़ के भिलाई स्थित रुआबांधा बस्ति में हुए नरबलि प्रकरण के आरोपियों को दी गई फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को सही पाया है. इस फैसले के बाद अब कथित तांत्रिक ईश्वर लाल यादव और उसकी पत्नी किरण बाई को मौत की सजा होगी. इस दंपति ने दो साल के बच्चे का अपहरण करके उसकी बलि दे दी थी. इस मामले में सात आरोपियों को तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने मार्च 2014 में फांसी की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को अब बरकरार रखा है.

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दिल दहला देने वाले भिलाई नरबलि कांड में सुप्रीम कोर्ट ने दो मुख्य आरोपियों समेत 7 को दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा है. तांत्रिक दंपति समेत 7 आरोपियों को दुर्ग न्यायालय ने 2014 में फांसी की सजा सुनाई थी. दो साल के बच्चे के नरबलि देने को कोर्ट ने रेयरेस्ट ऑफ रेयर बताते हुए फांसी की सजा सुनाई थी.

ये था मामला

दो साल के बच्चे के नरबलि का मामला 23 नवंबर 2011 का है. आरोपी ईश्वर यादव और उसकी पत्नी किरण खुद को तांत्रिक बताते थे. उन दोनों के शिष्य भी थे. जानकारी के मुताबिक दंपति ने शिष्यों के साथ योजना बनाई और अपने पड़ोस में रहने वाले पोषण सिंह के दो साल के बेटे का अपहरण कर लिया और उसकी हत्या कर दी.

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साक्ष्य छिपाने के लिए आरोपियों ने बच्चे के शव को दफना दिया. इस पूरे मामले में सबसे पहला शक पुलिस को आरोपी दंपति पर हुआ. जब उनसे पूछताछ की गई तो उन्होंने पूरे मामले का खुलासा कर दिया. दुर्ग कोर्ट में चल रहे इस मामले का फैसला साल 2014 में आया, जिसे एक ऐतिहासिक फैसला बताया गया. इस मामले में न्यायालय ने सभी आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी.