Patanjali News: पतं​जलि की ये दवा फेफड़ों की गंभीर बीमारियों को करेगी दूर, अचूक आयुर्वेदिक इलाज
Tatkal रेल टिकट बुकिंग में हो गया बड़ा बदलाव, ऐसे मिलेगा कंफर्म टिकट
कप्तानी की कोई खास शैली नहीं अपनाऊंगा : शुभमन गिल
इंग्लैंड-भारत टेस्ट सीरीज का नाम एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी होगा
अफ्रीकी संघ ने अमेरिकी यात्रा प्रतिबंध पर चिंता व्यक्त की
असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ की स्थिति में सुधार, मृतकों की संख्या 48 हुई
भारत-पाक सीजफायर पर स्थिति स्पष्ट करें पीएम मोदी : सचिन पायलट
मई में आधार प्रमाणीकरण ट्रांजेक्शन 211 करोड़ से अधिक हुए : अधिकारी
बुमराह कौन सा मैच खेलेंगे तय नहीं, करुण नायर को मिलेगा मौका : गौतम गंभीर

छत्तीसगढ़: पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में पेड़ों पर लगाए गए क्यूआर कोड, जानें क्या है वजह

QR codes on Trees: क्यूआर कोड लगाने से छात्र पेड़ों के औषधीय गुण और उनकी विशेषताएं को बारे में जान पाएंगे.

author-image
Suhel Khan
New Update
prsu

Pt Ravishankar Shukla University( Photo Credit : Social Media)

QR codes on Trees: छत्तीसगढ़ के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय (पीआरएसयू) में पेड़ों पर क्यूआर कोड लगाए गए हैं.  अब ये जानकर आपको हैरानी हो रही होगी कि भला पेड़ों पर क्यूआर कोड लगाने का फायदा क्या होगा. तो चलिए आपको बताते हैं. दरअसल, विश्वविद्यालय ने छात्रों को विभिन्न प्रकार के पेड़ों की वैज्ञानिक और औषधीय विशेषताओं से अवगत कराने के लिए पेड़े पर क्यूआर कोड लगाए हैं. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने विश्वविद्यालय परिसर में लगे सभी पेड़ों पर क्यूआर कोड लगाए हैं. जिससे छात्र पेड़ों के औषधीय गुण और उनकी विशेषताएं को बारे में जान पाएंगे. विश्वविद्यालय के अनुसार, क्यूआर कोड के तुरंत स्कैन करछात्र विश्वविद्यालय परिसर के भीतर पेड़ों की विशेषताओं के बारे में तुरंह ही जान सकेंगे.

Advertisment

ये भी पढ़ें: Farmers Protest: हरियाणा के पंचकूला में लगाई गई धारा 144, जुलूस के साथ इन चीजों पर लगा प्रतिबंध

छात्रों को हर पेड़ के बारे में जानकारी देना चाहता है विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अफाक कुरैशी के मुताबिक, विश्विद्यालय प्रशासन चाहता है कि छात्र विश्वविद्यालय परिसर के भीतर सभी पेड़ों के महत्व के बारे में जानें. इसलिए, हमने हर पेड़ पर क्यूआर कोड लगाया है. क्यूआर कोड को स्कैन करके, छात्र औषधीय गुणों, वैज्ञानिक जानकारी, उम्र के बारे में जान सकेंगे. बता दें कि एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अफ़ाक क़ुरैशी पीआरएसयू के स्कूल ऑफ स्टडीज़ इन बायोटेक्नोलॉजी में पढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि क्यूआर कोड के अलावा, प्रशासन ने पौधों और पेड़ों के सामान्य और वैज्ञानिक नाम वाले टैग भी लगाए हैं.

ये भी पढ़ें: 'देश का गौरव है आदिवासी समाज', मध्य प्रदेश के झाबुआ में बोले पीएम मोदी

छात्रों को मिल रही क्यूआर कोड से मदद

पीआरएसयू में जैव प्रौद्योगिकी का अध्ययन करने वाली एक छात्रा बिपाशा सिंह ने कहा कि क्यूआर कोड उन्हें विभिन्न पेड़ों के बारे में अध्ययन करने में बहुत मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में, हम पौधों का अध्ययन करते हैं. इसलिए पौधों और पेड़ों की टैगिंग और क्यूआर कोडिंग से हमें पेड़ों के व्यावसायिक, औषधीय और वैज्ञानिक उपयोग के बारे में आसानी से पता चल जाता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई नीम के पेड़ के औषधीय और धार्मिक महत्व के बारे में जानना चाहता है तो वह पेड़ के क्यूआर कोड को स्कैन करें. उसके बाद पूरी जानकारी उसके सामने होगी.

ये भी पढ़ें: Haldwani Violence: मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक की तलाश तेज, पुलिस की 10 टीमें उपद्रवियों की खोज में लगीं

Source : News Nation Bureau

chhattisgarh QR codes on trees chhattisgarh-news Trees Pandit Ravi Shankar Shukla University prsu
      
Advertisment