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सरकार ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने अपने बल पर बना डाली दो किलोमीटर लंबी सड़क

आजादी के बाद सड़क सुविधा की राह ताक रहे मंडला जिले के घुरवारा गांव के ग्रामीणों ने श्रमदान और धन दान कर सड़क का खुद ही निर्माण किया है.

Updated on: 19 Sep 2019, 04:07 PM

highlights

  • ग्रामीणों ने विधायक, सांसद समेत जिलाधिकारी से लगाई थी गुहार
  • किसी ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद किया श्रमदान
  • सड़क बानाने के साथ ही उसे हाईवे से भी जोड़ दिया

मांडला:

आजादी के बाद सड़क सुविधा की राह ताक रहे मंडला जिले के घुरवारा गांव के ग्रामीणों ने श्रमदान और धन दान कर सड़क का खुद ही निर्माण किया है. आज जब हर जगह सुविधाओं की मांग के लिए सरकार से उम्मीद लगाई जाती है. उस समय में लोगों ने खुद ही सड़क बना डाली. जिला मंडला के बिछिया तहसील के तहत कोको ग्राम पंचायत के सैकड़ों लोग लंबे समय से सड़क सुविधा की मांग कर रहे थे. जिसकी कोई भी सरकार सुनवाई नहीं कर रही थी. गौरतलब है कि आजादी के सात दशक बाद भी घुरवारा गांव की सैकड़ों की आबादी सड़क सुविधा से वंचित थी.

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सड़क की मांग को लेकर ग्रामीण सरकार से भी कई बार मांग उठाते रहे हैं. लेकिन सरकार ने उनकी मांग को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. अंत में ग्रामीणों ने भूमि पर स्वयं श्रमदान और धनराशि खर्च कर इस सड़क का निर्माण किया. जिले के कोको ग्राम पंचायत के घुरवारा गांव के लोगों की जब प्रशासन ने सड़क बनाने की गुहार नहीं सुनी तो सबने मिलकर खुद ही सड़क बनाने का बीड़ा उठा लिया.

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ग्रामीणों ने अपने बूते सड़क बनाने के लिए कुदाल-फावड़ा उठाया और दो किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली. जो लोगों के लिए मिसाल बन गयी है. घुरवारा गांव तक सड़क बनाने के लिए यहां का हर व्यक्ति 'मांझी' बनने के लिए तैयार हो गया और खुद फावड़ा, तगाड़ी और छेनी उठाकर सड़क बनाने के लिए निकल पड़ा. यह गांव कई वर्षों से सड़क की बाट जोह रहा था.

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इस सड़क के बनने से लोगों को अब न बारिश की मार झेलनी पड़ेगी और न ही नदी, नाले पार कर कीचड़ में चलना पड़ेगा. इस गांव में सड़क बनाने के लिए ग्रामीण सरपंच से लेकर कलेक्टर और विधायक से कई बार मिन्नतें कर चुके थे. लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया था.

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हर तरफ से धक्के खाने के बाद गांव वालों ने न सिर्फ श्रमदान कर दो किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली बल्कि सड़क को हाईवे से भी जोड़ दिया. ग्रामीणों के इस काम की जिला कलेक्टर जिला कलेक्टर जगदीश चंद्र जटिया भी तारीफ करते थक नहीं रहे हैं. उन्होंने गांव वालों को इसके लिए बधाई दी है.