छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के बाद पंचायत चुनाव की बढ़ी सरगर्मी
यह चुनाव भले ही गैर दलीय आधार पर हो रहे हों, मगर यहां सियासी तड़के का जोर है.
Raipur:
छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय के चुनाव के बाद पंचायत चुनाव की सरगर्मी बढ़ गई है. नामांकन पत्र भरे जा रहे हैं, उम्मीदवारी के लिए जोर आजमाइश जारी है. यह चुनाव भले ही गैर दलीय आधार पर हो रहे हों, मगर यहां सियासी तड़के का जोर है. प्रदेश में पंचायत चुनाव तीन चरणों- 28 जनवरी, 31 जनवरी और तीन फरवरी को होगा. मतदान बैलेट पेपर से होगा. चुनाव के लिए नामांकन भरने का क्रम जारी है जो छह जनवरी तक चलेगा. सात जनवरी को नामांकन की स्क्रूटनी और नौ जनवरी को नाम वापस लेने की अंतिम तिथि तय की गई है. नौ जनवरी को ही चुनाव चिन्हों का आवंटन किया जाएगा.
प्रदेश के 27 जिले में 400 जिला पंचायत सदस्य, 2,979 जनपद पंचायत सदस्य, 11,664 सरपंच और 1,60,725 पंचों का चुनाव होगा. पंचायत चुनाव में पहली बार सरपंच का चुनाव पंच करेंगे. पंचायत चुनाव में एक करोड़ 44 लाख 68 हजार 763 वोटर अपने प्रतिनिधि का चयन करेंगे. इसमें पुरुष 95 लाख 54 हजार 252 और महिला 72 लाख 69 हजार 274 वोटर हैं. पंचायत चुनाव के लिए 29,525 बूथ बनाए गए हैं.
यह भी पढे़ें- दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी और अमित शाह को ट्वीट कर उठाया CAA और NRC पर सवाल
चुनाव की तारीखों के ऐलान और नामांकन भरे जाने के दौर के बीच सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. पंचायत चुनाव भले ही गैर दलीय आधार पर हो रहे हों, मगर दोनों ही दलों की ओर से जीत के दावे किए जा रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, "दंतेवाड़ा और चित्रकोट विधानसभा उपचुनाव और नगरीय निकाय चुनावों की ही तरह पंचायत चुनावों में भी कांग्रेस की एकतरफा जीत होगी, क्योंकि छत्तीसगढ़ के मजदूर किसान इस बात को बखूबी समझते हैं कि उन्हें 2,500 रुपये प्रति क्विंटल धान का दाम देने का काम कांग्रेस की सरकार ने किया है. किसानों की 11,000 करोड़ की कर्ज माफी भी इसी सरकार ने की है."
वहीं, भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक अशोक बजाज का दावा है कि पंचायत चुनावों में ग्रामीण विकास को ठप करने का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल के कुशासन तथा वादाखिलाफी से जनता त्रस्त है जिसकी वजह से कांग्रेस का जनाधार खिसकता जा रहा है.
बजाज ने कांग्रेस के कर्जमाफी, धान खरीदी, शराब-बन्दी, बेरोजगारी भत्ता आदि मुद्दों को छलावा करार देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने जिस तरह छलावा और सियासी नौटंकी की है, उससे गरीब, मजदूर, किसान, आदिवासी, महिलाएं, युवा समेत सभी वर्ग के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. जिस तरह नगरीय निकायों में जनता ने कांग्रेस को सबक सिखाया है, वैसा ही पंचायत में होगा.
राजनीतिक विश्लेषक रुद्र अवस्थी का कहना है कि पंचायत चुनाव गैर दलीय आधार पर हो रहे हैं, इसलिए उम्मीदवारी को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता, मगर चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति तो राजनीतिक ही होता है. यही कारण है कि सियासी पारा भी उछाल मार रहा है. सदस्यों के चुनाव के बाद होने वाले जनपद पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में राजनीतिक पैंतरेबाजी खुलकर सामने आती है, इसलिए सदस्यों के चुनाव के बाद ही सारी तस्वीर उभर कर सामने आएगी. अब तक का अनुभव तो यही है कि अध्यक्षों के चुनाव में सत्ताधारी दल ही फायदे में रहता है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Shah Rukh Khan Son: बेटे अबराम के साथ KKR को सपोर्ट करने पहुंचे शाहरुख, मैच से तस्वीरें वायरल
-
Rashmi Desai Fat-Shamed: फैट-शेमिंग करने वाले ट्रोलर्स को रश्मि देसाई ने दिया करारा जवाब, कही ये बातें
-
Sonam Kapoor Postpartum Weight Gain: प्रेगनेंसी के बाद सोनम कपूर का बढ़ गया 32 किलो वजन, फिट होने के लिए की इतनी मेहनत
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी