Naxals: हथियार छोड़ने के लिए तैयार हुए नक्सलवादी संगठन, कहा- हम सरकार से बात करने को तैयार

Naxals: नक्सलवादी संगठन ने हथियार छोड़ने का फैसला किया है. संगठन के प्रवक्ता ने कहा है कि हम सरकार से बात करने के लिए तैयार हैं.

Naxals: नक्सलवादी संगठन ने हथियार छोड़ने का फैसला किया है. संगठन के प्रवक्ता ने कहा है कि हम सरकार से बात करने के लिए तैयार हैं.

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Jalaj Kumar Mishra
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Chattisgarh News:

File Photo (X/@ANI)

Naxals: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की बहुत बड़ी खबर सामने आई है. नक्सलियों का फैसला है कि वे हथियार छोड़ने के लिए तैयार हैं. सरकार के साथ वे शांति वार्ता करने के लिए राजी हो गए हैं. दरअसल, नक्सली संगठन के प्रवक्ता अभय ने एक प्रेस नोट जारी किया है. इस प्रेस नोट में नक्सलियों की ओर से महीने भर का समय मांगा गया है. 

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महीने भर के लिए नक्सली संगठन ने सीजफायर की मांग की है. प्रेस नोट में स्पष्ट कहा गया है कि नक्सलवादी नेता वीडियो कॉल के माध्यम से सरकार से बात करने को तैयार हैं. सरकार से संपर्क बनाने के लिए नक्सलियों ने अपनी मेल आईडी जारी की है और अपील की है कि सरकार अपना फैसला टीवी या फिर रेडियो के माध्यम से बताए. 

प्रेस नोट पर डली तारीख 15 अगस्त 2025 है. नक्सलियों ने इसमें कहा कि हथियारबंद संघर्ष को अस्थाई रूप से छोड़ रहे हैं. हम लोग मार्च 2025 से ही सरकार के साथ शांति वार्ता स्थापित करने के लिए गंभीर हैं और ईमानदारी से इसके लिए कोशिश कर रहे हैं. 

प्रधानमंत्री-गृहमंत्री के अनुरोध पर किया फैसला

अभय ने अपने पत्र में कहा कि देश-विदेश की बदलती परिस्थिति और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और वरिष्ठ पुलिस अफसरों द्वारा मुख्य धाराओं में शामिल होने के अनुरोध के कारण हम अस्थाई रूप से हथियार त्यागने का फैसला कर रहे हैं. जन समस्याओं के लिए हम राजनीतिक दलों और संघर्षरत संस्थाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का प्रयास करेंगे. 

इस वजह से घबराए

माओवादियों को पिछले एक महीने में तीन बड़े नुकसान हुए हैं, जिसमें गरियाबंद में बालकृष्ण का मारा जाना, झारखंड में सहदेव का मारा जाना और सुजाता का आत्मसमर्पण शामिल है. इन वजहों से संगठन पर दबाव बढ़ गया है, जिस वजह से ये पत्र जारी किया गया है. 

छत्तीसगढ़ सरकार ने क्या कहा

मामले में छत्तीसगढ़ सरकार की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने कहा कि विकास और शांति स्थापित करना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है. हालांकि, फैसला लेने से पहले सुरक्षा एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी जाएगी.

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