छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का जमावड़ा, बड़ी वारदात को दे सकते हैं अंजाम

इसके साथ ही यह सूचना भी मिल रही है कि वे कई स्थानों पर बदला लेने के लिए रणनीतिक मुहिम पर भी काम शुरू कर चुके हैं.

इसके साथ ही यह सूचना भी मिल रही है कि वे कई स्थानों पर बदला लेने के लिए रणनीतिक मुहिम पर भी काम शुरू कर चुके हैं.

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yogesh bhadauriya
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प्रतीकात्मक तस्वीर( Photo Credit : News State)

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर नक्सली सक्रिय होने लगे हैं और उनका जमावड़ा भी बढ़ रहा है. इसके साथ ही यह सूचना भी मिल रही है कि वे कई स्थानों पर बदला लेने के लिए रणनीतिक मुहिम पर भी काम शुरू कर चुके हैं. नक्सलियों की बढ़ती सक्रियता की मिल रही सूचना पर पुलिस भी सतर्क है. राज्य के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा, नारायणपुर सहित कई अन्य स्थानों पर फरवरी और मार्च के महीने में कई मेले और मड़ई का आयोजन होता है. इन आयोजनों में हजारों लोग हिस्सा लेते हैं.

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इन आयोजनों के मद्देनजर नक्सली अपने मंसूबे को अंजाम दे सकते हैं. साथ ही वे आयोजनों में आने वालों से अपनी योजना के तहत मेलजोल भी बढ़ाने की फिराक में हैं.. सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि अलग-अलग हिस्सों में बड़ी संख्या में नक्सली एकत्र हो रहे हैं, वे मेले और मड़ई के दौरान बड़ी वारदात को अंजाम देने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

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इसके लिए उन्होंने टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन भी शुरू कर दिया है. वहीं राज्य के सुदूर इलाकों में नक्सली कैंप भी लगा रहे हैं. हालांकि इसमें किसी नक्सली का नाम अभी सामने नहीं आया है.

पुलिस महानिरीक्षक पी. सुंदर राज ने आईएएनएस से चर्चा के दौरान स्वीकार किया, "नक्सली आमतौर पर गर्मी के समय में पुलिस बल आदि पर हमला करने के मकसद से टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन चलाते हैं. पुलिस इसे लेकर सतर्क रहती है. फिलहाल इसे लेकर कोई स्पष्ट सूचना नहीं मिली है, फिर भी विभिन्न मेला आदि को ध्यान में रखकर पुलिस सतर्क और चौकस है."

नारायणपुर में अबूझमाड़िया आदिवासियों का तीन दिवसीय 'मावली मेला' बुधवार से शुरू हो चुका है. इसमें हिस्सा लेने के लिए हजारों की संख्या में लोग वहां पहुंचते हैं. साथ ही जनप्रतिनिधि भी इसमें शामिल होते हैं. ऐसे में नक्सलियों के सक्रिय होने की सूचना ने पुलिस की चिंता बढ़ा दी है. यही कारण है कि सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि नक्सल गतिविधियों की आशंका के मद्देनजर लोगों की आवाजाही और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है, और सर्चिग और गश्त बढ़ा दी गई है.

ज्ञात हो कि साल 2013 की गर्मी में ही यानी 25 मई को नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर झीरम घाटी क्षेत्र में हमला किया था. हमले में कांग्रेस के कई बड़े नेता सहित 32 लोग मारे गए थे. मरने वालों में महेंद्र कर्मा भी थे. कर्मा का परिवार लगातार नक्सलियों के निशाने पर रहा है. वहीं कर्मा के गृहग्राम फरसापाल में मेला चल रहा है, और वहां बड़ी संख्या में सैलानी आए हैं. ऐसे में कर्मा परिवार के सदस्यों की भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने आईएएनएस से कहा, "मेला आदि को लेकर पुलिस हमेशा सतर्क रहती है, क्योंकि इन आयोजनों में जनप्रतिनिधियों का आना होता है. फिलहाल उन्हें अब तक किसी तरह के नक्सली कैंपेन की जानकारी नहीं मिली है."

राज्य में पिछले साल नक्सली घटनाओं में कमी आई थी. इससे सुरक्षा बल राहत महसूस कर रहे थे, मगर अब जो सूचनाएं आ रही हैं, उससे पुलिस को सतर्क कर दिया गया है. बीते साल की घटनाओं पर गौर करें तो सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 में पुलिस नक्सली मुठभेड़ की 166 घटनाएं हुई थीं, वहीं वर्ष 2019 में 112 मुठभेड़ हुईं. इस प्रकार पुलिस नक्सली मुठभेड़ में 32.53 फीसद कमी दर्ज की गई. मुठभेड़ में वर्ष 2018 में 124 तो वर्ष 2019 में 77 नक्सली मारे गए.

वहीं विभिन्न नक्सली घटनाओं में 2018 में 89 और 2019 में 46 नागरिकों की जान गई. इस प्रकार नागरिकों के मारे जाने की संख्या में 48.31 प्रतिशत की कमी आई. इसी तरह 2019 में कुल 19 पुलिसकर्मी शहीद हुए, जबकि 2018 में यह आंकड़ा 53 था. राज्य में 2018 में आईईडी विस्फोट की 77 घटनाएं घटीं, जबकि इस वर्ष 41 घटनाएं हुईं. यानी आईईडी विस्फोट की घटनाओं में 46.75 प्रतिशत कमी आई. नक्सल वारदातों में हथियार लूट की घटनाओं में 56.25 प्रतिशत की कमी देखी गई है.

Source : News State

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