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छत्तीसगढ़ : आईटीबीपी शिक्षक 'स्मार्ट' क्लास में, छात्रों से सीख रहे हैं हल्बी भाषा

माओवाद प्रभावित राज्यों में सरकार विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए छत्तीसगढ़ में आईटीबीपी ने नया अवतार लेते हुए स्थानीय स्कूली बच्चों के लिए 'स्मार्ट' शिक्षक बनकर उन्हें शिक्षित करने के साथ छात्रों से हल्बी भाषा सीख रहे हैं.

Updated on: 18 Jan 2021, 12:40 PM

रायपुर:

 भारत-चीन सीमा पर सुरक्षा के साथ माओवाद प्रभावित राज्यों में सरकार विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए छत्तीसगढ़ में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने नया अवतार लेते हुए स्थानीय स्कूली बच्चों के लिए 'स्मार्ट' शिक्षक बनकर उन्हें शिक्षित करने के साथ छात्रों से हल्बी भाषा सीख रहे हैं.

राज्य में तैनात 90,000 से अधिक जवान वाले बल माओवाद प्रभावित कोंडागांव जिले में स्थानीय बच्चों के लिए इंटरनेट आधारित कक्षाएं आयोजित करा रहे हैं. बच्चों को शिक्षित करने के क्रम में ये आईटीबीपी कर्मी, बल की खुफिया क्षमता को बढ़ाने के लिए, धीरे-धीरे उनसे स्थानीय हल्बी भाषा सीख रहे हैं.

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पांच जनवरी से कोंडागांव और आसपास के गांवों में दूरदराज के गांवों में बच्चों के लिए शुरू किया गया ऑनलाइन ऑडियो-विजुअल की मदद से छात्र के ज्ञान को बढ़ाने के लिए आईटीबीपी की 41 वीं बटालियन के कर्मियों द्वारा अध्याय की कक्षाएं आयोजित की जाती हैं. कंप्यूटर और प्रोजेक्टर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद से भी कक्षाएं ली जाती हैं.

यह कक्षाएं गुरुवार को छोड़कर सप्ताह में दोपहर 3 बजे से 4.30 बजे के बीच आयोजित की जाती हैं. ये कक्षाएं उन आईटीबीपी कर्मियों द्वारा ली जाती हैं जो स्नातक हैं और जिन्हें पढ़ाने का अनुभव और ज्ञान है.

इसके अलावा, यूट्यूब पर ऑनलाइन सीखने वाले कई वीडियो और छात्रों को सीखने और अभ्यास करने के पर्याप्त अवसर देकर ई-लर्निग वेबसाइटों की मदद भी ली जाती है.

आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडेय ने आईएएनएस को बताया," प्रतिदिन आधे घंटे के कैप्सूल कोर्स भविष्य में छात्रों को उच्च अध्ययन करने में सक्षम बनाता है और बच्चों को ई-लर्निग और वर्चुअल ऑनलाइन कक्षाओं के तरीकों को समझने में मदद करेगा." उन्होंने आगे कहा, इस पहल से कुछ 50 छात्रों को लाभान्वित किया जा रहा है.

पांडेय ने कहा कि ये सभी कक्षाएं इंटरनेट के माध्यम से आयोजित की जाती हैं, हालांकि मोबाइल सिग्नल क्षेत्र में काफी कमजोर है. उन्होंने आगे कहा, जवान अपने मोबाइल फोन को बांस के खंभे या पेड़ की डालियों के माध्यम से ऊंचाई पर बांध देते हैं, जहां नेटवर्क मिलता है और यह वाईफाई हॉटस्पॉट के माध्यम से स्मार्ट कक्षाओं के लिए उपयोग किए जाने वाले लैपटॉप से जुड़ा होता है जिसे प्रोजेक्टर के माध्यम से बड़ी स्क्रीन के रूप में पेश किया जाता है. ब्लूटूथ स्पीकर के माध्यम से आवाज आती है.

अधिकारी ने कहा कि कक्षा 1 से 9 तक के छात्रों को पढ़ाया जाता है और गणित और अंग्रेजी पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है. पांडेय ने कहा, "बच्चों को कुछ फिल्में भी दिखाई जाती हैं जो उन्हें शिक्षा प्रदान करने में मदद करती हैं."

उन्होंने आगे कहा, "कंपनी कमांडर, एक सब-इंस्पेक्टर और स्नातक की डिग्री वाले कुछ कांस्टेबल सहित आधा दर्जन से अधिक आईटीबीपी कर्मी इस काम में लगे हुए हैं."

इन छात्रों को पढ़ाने वालों में शामिल पवन कुमार, सहायक कमांडेंट ने आईएएनएस को बताया, "हमने उन्हें कोविड-19 के बारे में समझाने का प्रयास किया."

उन्होंने कहा, "हम गूगल मीट, यूट्यूब और कुछ शिक्षा वेबसाइटों जैसे ईकिड्सलर्निग डॉट ऑर्ग और आईएक्सएल डॉट कम का उपयोग करते हैं. ये साइट ऑनलाइन अध्ययन सामग्री प्रदान करती हैं जो बच्चों को पढ़ाने के लिए उपयोग में आती हैं. बोधगुरु वेबसाइट और कुछ यूट्यूब चैनल का उपयोग इन बच्चों को शिक्षित करने के लिए कुछ वीडियो चलाने के लिए भी किया जाता है."

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कुमार ने कहा कि वाईफाई डोंगल का इस्तेमाल बेहतर इंटरनेट स्पीड पाने के लिए किया जाता है और इन्हें सिग्नल पाने के लिए एक निश्चित ऊंचाई पर बांस के खंभे या पेड़ों पर लटका दिया जाता है.

कक्षाओं और समय के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा, "कक्षाएं दो पालियों में चलाई जाती हैं. कक्षा 7 से 9 तक के छात्रों को एक पाली में और दूसरे बच्चों को दूसरी पाली में पढ़ाया जाता है. दोपहर 3 बजे से शाम 4.30 बजे तक एक निश्चित समय होता है. ये कक्षाएं गुरुवार के अलावा सप्ताह के छह दिनों को चलती हैं."

अधिकारी के अनुसार, इन छात्रों को पढ़ाने के लिए कमरा स्थापित किया जाता है, उनकी दिलचस्पी बनाए रखने के लिए कुछ स्नैक्स भी प्रदान किए जाते हैं. अधिकारी ने कहा कि ये कक्षाएं 5 जनवरी से हडेली क्षेत्र में चलाई जा रही हैं.