पत्नी अपने पति से संबंध बनाने से करे इंकार तो वह क्रूरता माना जाएगा: HC

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ( chhattisgarh high court ) ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पत्नी अपने पति से शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करे, तो वह क्रूरता माना जाएगा

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ( chhattisgarh high court ) ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पत्नी अपने पति से शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करे, तो वह क्रूरता माना जाएगा

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Mohit Sharma
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chhattisgarh high court ( Photo Credit : सांकेतिक तस्वीर)

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ( chhattisgarh high court ) ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पत्नी अपने पति से शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करे, तो वह क्रूरता माना जाएगा. दअरसल, महिला अपने पति को भद्दा और मोटा कहकर नापसंद करती थी और दस साल से शारीरिक संबंध बनाने से मना करती थी. परेशान पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. जस्टिस पी सैम कोशी व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है. 

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बिलासपुर के विकास नगर में रहने वाल एन मिश्रा की शादी 25 नवंबर 2007 को हुई थी. उनकी पत्नी अब बेमेतरा में रहती है. उन्होंने पत्नी के अलग रहने पर तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में परिवाद प्रस्तुत किया था. इसमें बताया गया कि शादी के कुछ माह रहने के बाद वह अगस्त 2008 में तीज पर्व और रक्षाबंधन मनाने के लिए मायके चली गई. फिर 8-9 माह बाद ससुराल लौटी. 11 जुलाई 2009 को युवक के पिता की मौत हो गई. इसके बाद भी महिला अगले महीने रक्षाबंधन और तीजा मनाने अपने भाई के साथ फिर मायके चली गई और लौट आई. इसके बाद साल 2010 में वह फिर से मायके चली गई और बिना बताए चार साल तक रही. 2008 से 2015 तक बहुत कम समय ससुराल में बिताई और पति व ससुराल वालों को बताए बिना ही साल 2011 में बेमेतरा में शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वॉइन कर ली. ऐसे में वह पति को घर छोड़कर बेमेतरा में रहने के लिए दबाव बना रही थी. परेशान होकर उन्होंने तलाक के लिए अर्जी लगाई. 

फैमिली कोर्ट से खारिज हुई अर्जी, तब हाईकोर्ट में दी चुनौती पत्नी के व्यवहार से परेशान होकर पति ने हिंदु विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत विवाह विच्छेद के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था. जिसे फैमिली कोर्ट ने 13 दिसंबर 2017 को खारिज कर दिया. इस फैसले के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की.  पत्नी की तरफ से अपने बचाव में तर्क प्रस्तुत किए गए, लेकिन कोर्ट ने पत्नी के बयानों के आधार पर पाया कि दंपती में वर्ष 2010 से ही शारीरिक संबंध नहीं था. वह पति को भारी और दिखने में भद्दा कहती थी और नापसंद करती थी. उसने पति को जानकारी दिए बिना ही शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वॉइन कर ली थी, जिसमें  अपने पति के बजाए मायकेवालों को नॉमिनी बनाया था.

हाईकोर्ट ने कहा- पति के साथ शारीरिक संबंध होना स्वस्थ्य वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि यह स्पष्ट है कि अगस्त 2010 से पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है, जो यह निष्कर्ष निकालने के लिए काफी है कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं है. पति और पत्नी के बीच शारीरिक संबंध विवाहित जीवन के स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है. एक पति या पत्नी के साथ शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर है. कोर्ट का विचार है कि इस मामले में पत्नी ने पति के साथ क्रूरता का व्यवहार किया है.

तलाक के अन्य मामलों में नजीर होगा फैसला.. 

हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने इस फैसले को एप्रुवल फॉर ऑर्डर माना है. कोर्ट का यह आदेश तलाक संबंधी अन्य मामलों में नजीर के रूप में लिया जाएगा. इस फैसले के आधार पर पति-पत्नी के रिश्तों के आधार पर तलाक संबंधी अन्य मामलों में भी आदेश जारी किए जा सकेंगे.

Source : News Nation Bureau

Chhattisgarh High Court
      
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