छत्तीसगढ़: CM भूपेश बघेल की सोशल इंजीनियरिंग, सभी समाज को दी जगह
भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल ने कुछ दिन पहले ही उन्हें मंत्रिमंडल में एक भी ब्राह्मण को शामिल नहीं करने की सलाह दी थी
नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ में CM भूपेश बघेल के मंत्रिमंडल का विस्तार हो ही गया. राज्य को मिले मंत्रियों में ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय एक-एक, जबकि 3 पिछड़ा और तीन आदिवासी हैं. बता दें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल ने कवर्धा क्षेत्र से विधायक बने मोहम्मद अकबर को मंत्री बनाये जाने पर जोर दिया था. भूपेश बघेल समेत सभी 12 मंत्री करोड़पति हैं. सबसे युवा मंत्री उमेश पटेल के पास सबसे कम 1.78 करोड़ रुपए की संपत्ति है. टीएस सिंहदेव सबसे अमीर मंत्री हैं. उनके पास 500 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है.
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इस बयान के बाद छत्तीसगढ़ के सीएम उतनी चर्चा में नहीं आ पाए जितनी कि उनके पिता नंद कुमार बघेल आ गए थे. उन्होंने कहा था कि मैं कैबिनेट विस्तार में ब्राह्मणों का विरोध करता हूं क्योंकि वो अपना हिस्सा ले चुके हैं. नंद कुमार बघेल ने यह बयान सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि ब्राह्मणों को जितना मिलना था उनको मिल गया है.
मंत्री विधानसभा वर्ग
भूपेश बघेल पाटन पिछड़ा
ताम्रध्वज साहू दुर्ग पिछड़ा
उमेश पटेल खरसिया पिछड़ा
कवासी लखमा कोंटा आदिवासी
अनिला भेड़िया डोंडी लोहारा आदिवासी
प्रेमसाय सिंह टेकाम प्रतापपुर आदिवासी
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शिव डहरिया आरंग दलित
गुरु रुद्र कुमार अहिवारा दलित
मो. अकबर कबीरधाम अल्पसंख्यक
रविंद्र चौबे साजा ब्राह्मण
जयसिंह अग्रवाल कोरबा वैश्य
टीएस सिंहदेव अंबिकापुर ठाकुर
वहीं मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से धनेंद्र साहू नाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें अयोग्य और अक्षम समझा, इसलिए उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया, उनसे जो योग्य व अनुभवी हैं, उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। मुझे इस बात का दुख नहीं है कि मंत्री नहीं बनाया, मुझे ऐशो-आराम, बंगला-गाड़ी नहीं मिलेगा, दुख इस बात का है कि हमलोगों ने जो सपना देखा था उस सपने से वंचित हो रहे हैं…उस सेवा से वंचित हो रहे हैं, उस बात से दुखी हूं”
आज शाम भूपेश बघेल कैबिनेट की बैठक
शपथ ग्रहण के बाद आज शाम भूपेश बघेल ने अपने कैबिनेट की बैठक बुलायी है. नवगठित कैबिनेट की ये पहली बैठक है, लिहाजा इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. माना जा रहा है कि जमीन से जुड़े अहम मामलों के अलावे कई बड़े फैसले लिये जा सकते हैं. टाटा की जमीन वापस करने के अलावे कुछ मामलों में जांच के आदेश भी दिये जा सकते हैं.टाटा ने प्लांट के लिए 10 गांव के 1709 किसानों की 5000 एकड़ जमीन का 2008 में अधिग्रहण किया गया था.
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