नक्सली इलाके में तैनात सीआरपीएफ जवान ने खुद को गोली मारकर दी जान

नक्सली इलाके में तैनात सीआरपीएफ के हवलदार ने खुद को गोली मारकर अपनी जान दे दी. महेंद्रगढ़ हरियाणा के रहने वाले कुलदीप सिंह (35) जिला मुख्यालय स्थित सीआरपीएफ सेकंड बटालियन के मुख्‍यालय में तैनात थे. हमेशा की तरह वह अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद रात करीब 3.30 बजे बैरक में लौटे. सुबह करीब 5.30 बजे उसने सर्विस रायफल से सीने पर गोली मार ली.

नक्सली इलाके में तैनात सीआरपीएफ के हवलदार ने खुद को गोली मारकर अपनी जान दे दी. महेंद्रगढ़ हरियाणा के रहने वाले कुलदीप सिंह (35) जिला मुख्यालय स्थित सीआरपीएफ सेकंड बटालियन के मुख्‍यालय में तैनात थे. हमेशा की तरह वह अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद रात करीब 3.30 बजे बैरक में लौटे. सुबह करीब 5.30 बजे उसने सर्विस रायफल से सीने पर गोली मार ली.

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Drigraj Madheshia
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नक्सली इलाके में तैनात सीआरपीएफ जवान ने खुद को गोली मारकर दी जान

प्रतीकात्मक तस्वीर

नक्सली इलाके में तैनात सीआरपीएफ के हवलदार ने खुद को गोली मारकर अपनी जान दे दी. महेंद्रगढ़ हरियाणा के रहने वाले कुलदीप सिंह (35) जिला मुख्यालय स्थित सीआरपीएफ सेकंड बटालियन के मुख्‍यालय में तैनात थे. हमेशा की तरह वह अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद रात करीब 3.30 बजे बैरक में लौटे. सुबह करीब 5.30 बजे उसने सर्विस रायफल से सीने पर गोली मार ली.

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सुबह-सुबह बैरक से गोली की आवाज सुनकर वहां हड़कंप मच गया. आस-पास के जवान वहां पहुंचे तो कुलदीप खून से लथपथ पडे़ थे. उन्‍हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां पर डॉक्‍टरों ने कुलदीप को मृत घोषित कर दिया. एसपी अभिषेक मीणा ने बताया कि आत्महत्या की वजह अभी सामने नहीं आ सकी है. मामला दर्ज कर जांच में ले लिया गया. वहीं शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है. मृतक के परिजनों को घटना की सूचना दे दी गई है.

2017 में 36 सुरक्षाकर्मियों ने की थी आत्‍महत्‍या

छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात सुरक्षाकर्मियों द्वारा आत्महत्या करने के मामले बढ़ोत्तरी हुई है. 2017 में 36 सुरक्षाकर्मियों ने आत्महत्या कर ली थी. यह पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक है.मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक छत्‍तीसगढ़ में पिछले एक दशक में सुरक्षाकर्मियों की आत्महत्या का सबसे अधिक आंकड़ा है और किसी एक साल का भी सबसे बड़ा आंकड़ा है. राज्य पुलिस और सीएपीएफ कर्मियों की आत्महत्या की सबसे ज्यादा संख्या 2009 में 13 थी.

छत्तीसगढ़ पुलिस के आंकड़ों की मानें तो 2007 से 2017 तक 115 से ज्यादा आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं. छत्तीसगढ़ के 17 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं. सूत्रों का कहना है कि जवानों की आत्महत्या के प्रमुख वजहों में कठोर परिस्थितियों में काम, छुट्टी प्राप्त करने में कठिनाई, अवसाद और एक मामले में भाई का विवाह और होम सिकनेस हैं.

Source : News Nation Bureau

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