छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित जिले सुकमा में इस स्कूल की भयावह तस्वीर सामने आई है. इस जर्जर स्कूल भवन में 44 बच्चों की जान जाखिम में डालकर उन्हें पढ़ाया जा रहा है. स्कूल की छत का प्लास्टर उखड़ गया है और लोहे के सरिया नजर आ रहे हैं. भवन की दीवारों में मोटी-मोटी दरारें पड़ गई हैं. आलम यह है कि यह भवन किसी भी समय जमींदोज हो सकता है. ऐसे में शिक्षा विभाग नया भवन के लिए ध्यान नहीं दे रहा है. विभाग की लापरवाही के चलते स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की जान खतरे में है.
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सन् 1983 में बना था यह भवन
सुकमा जिले के छिंदगढ़ विकासखण्ड के चितलनार ग्राम पंचायत में सन् 1983 का बना यह भवन जर्जर हो चुका है. नक्सल प्रभावित इलाका होने की वजह से चितलनार ग्राम पंचायत जिला स्तर के अधिकारियों की नजरों से दूर हैं. सतत निगरानी के अभाव में पूरे ग्राम पंचायत में मूलभूत सुविधायें भी नहीं है. बच्चों के पढ़ने के लिए गांव समूचित व्यवस्था नहीं है. मुण्डवाल गांव में 1983 में बने स्कूल भवन में प्राथमिक और माध्यमिक शाला का संचालन किया जा रहा है. प्राथमिक शाला में 25 और माध्यमिक शाला में 19 बच्चे पढ़ रहे हैं. बारिश के दिनोंं स्कूल संचालन में शिक्षकों को भारी परेशानियों को सामना करना पड़ता है. साथ ही प्राथमिक एवं माध्यिमक स्कूल के संयुक्त संचालन में भी दिक्कतें आती है.
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हर साल सत्र शुरू होने से पहले दी जाती है जानकारी
हर वर्ष नये शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले जर्जर व भवनविहीन स्कूलों की जानकारी दी जाती है. इसके बाद विभाग जानकारी की औपचारिकता कर भूल जाता है. मुण्डवाल स्कूल भवन की जानकारी भी हर साल दी गई है. प्राथमिक शाला के शिक्षक अमर सिंह नाग ने बताया कि भवन बने करीब तीन दशक से ज्यादा हो गया है. हर सत्र के शुरूआत में शिक्षा विभाग द्वारा जर्जर व भवनहीन शालाओं की जानकारी मांगा जाता है. हर बार स्कूल भवन जर्जर होने की जानकारी दी जाती है, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती है. इस वर्ष भी बच्चों को जर्जर भवन में खतरे के बीच पठन और पाठन का कार्य करना पड़ेगा.
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अतिरिक्त कक्ष की स्वीकृति दी जाएगी- कलेक्टर
वहीं जब मामला मीडिया में आया तो कलेक्टर चंनद कुमार ने कहा कि स्कूल भवन जर्जर होने की जानकारी मिली है. शिक्षा विभाग के जिम्मेदारा अधिकारियों को स्कूल का निरीक्षण करने के निर्देश दिये गये हैं. अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कर व्यवस्था दुरूस्त की जायेगी.
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