छत्तीसगढ़ : भूपेश बघेल के राज में नक्सली समस्या पर लगी लगाम

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार नक्सल समस्या को खत्म करने के लिए कार्ययोजना बनाने का दावा करते रहे हैं. उनका कहना है कि "नक्सलवाद को खत्म करने के लिए विकास के साथ विश्वास और सुरक्षा चाहिए.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार नक्सल समस्या को खत्म करने के लिए कार्ययोजना बनाने का दावा करते रहे हैं. उनका कहना है कि "नक्सलवाद को खत्म करने के लिए विकास के साथ विश्वास और सुरक्षा चाहिए.

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yogesh bhadauriya
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भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल( Photo Credit : News state)

छत्तीसगढ़ में सत्ता बदलने के बाद नक्सली समस्या पर लगाम लगाने की कोशिशें कामयाब होने लगी हैं. बीते एक साल के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि राज्य में जहां शहीद होने वाले जवानों की संख्या में कमी आई है, वहीं आम नागरिक भी नक्सलियों का निशाना बनने से बचा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार नक्सल समस्या को खत्म करने के लिए कार्ययोजना बनाने का दावा करते रहे हैं. उनका कहना है कि "नक्सलवाद को खत्म करने के लिए विकास के साथ विश्वास और सुरक्षा चाहिए. सरकार पर भरोसा होना चाहिए. मैंने वहां आदिवासियों की जमीन वापस की. रोजगार के बेहतर अवसर दिए. स्वास्थ्य, शिक्षा, कुपोषण के लिए डीएमएफ का पैसा खर्च किया. सरकार की कोशिशों का नतीजा है कि नक्सली गतिविधियों में 40 प्रतिशत कमी आई है."

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राज्य का बड़ा हिस्सा नक्सल प्रभावित है. यहां के 14 जिले सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, कोंडागांव, कांकेर, नारायणपुर, राजनांदगांव, बालोद, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, बलरामपुर और कबीरधाम नक्सल समस्या से प्रभावित हैं. इन इलाकों में अतीत में नक्सली राजनेताओं से लेकर प्रभावशाली लोगों तक को अपना निशाना बना चुके हैं.

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राज्य में सत्ता बदलने के बाद इस समस्या से निपटना नई सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती रही है. भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों में भरोसा पैदा करने की मुहिम चलाई तो दूसरी ओर सुरक्षा बलों के जरिए नक्सलियों को घेरने के प्रयास तेज किए.

राज्य में नक्सल अभियान से जुड़े एक अधिकारी की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़े के अनुसार, भूपेश सरकार के सत्ता संभालने के बाद नक्सली घटनाओं में काफी कमी आई है. बात मुठभेड़ों की करें तो बीते साल 2018 में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की 166 घटनाएं हुईं, वहीं इस साल मुठभेड़ की 112 घटनाएं हुईं. इस प्रकार पुलिस नक्सली मुठभेड़ में 32़ 53 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.

इसी तरह पिछले वर्ष मुठभेड़ में 124 नक्सली मारे गए थे, जबकि इस वर्ष 77 नक्सली मारे गए हैं. विभिन्न नक्सली घटनाओं में पिछले साल 89 लोगों की जानें गई थीं, वहीं इस साल 46 नागरिकों की जानें गईं हैं. इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में इस साल मृत नागरिकों की संख्या में 48़ 31 प्रतिशत की कमी आई है. नक्सल घटनाओं में इस वर्ष 19 पुलिसकर्मी शहीद हुए, जबकि बीते साल यह आंकड़ा 53 था. इस तरह इस साल शहीद पुलिसकर्मियों की संख्या में 64़15 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.

आंकड़े बताते हैं कि विगत वर्ष छह गोपनीय सैनिक तो इस साल तीन गोपनीय सैनिक शहीद हुए. पिछले साल आईईडी विस्फोट की 77 एवं इस वर्ष 41 घटनाएं हुईं. इस साल आईईडी विस्फोट की घटनाओं में 46़ 75 प्रतिशत की कमी आई. नक्सली घटनाओं में हथियार लूट की घटनाओं में 56़ 25 प्रतिशत की कमी देखी गई.

राज्य के पुलिस महानिरीक्षक (नक्सल ऑपरेशन) सुंदर राज पी. ने आईएएनएस से कहा, "नक्सल प्रभावित इलाकों में विश्वास, विकास और सुरक्षा का जो अभियान चलाया जा रहा है, उसके नतीजे सामने आ रहे हैं. सुरक्षा बल जहां घोर नक्सल प्रभावित इलाकों तक पहुंचे हैं, वहीं नक्सल संगठन कमजोर हुए हैं. पुलिस को जन सामान्य का साथ मिला है. पुलिस की ऑपरेशन कैपेबिलिटी से बड़ा बदलाव आया है."

Source : News State

Ranchi
      
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