तस्करों के आरोपों की सजा भुगत रहे हैं 3 कछुए, सालों से कर रहे हैं रिहाई का इंतजार

छत्तीसगढ़ के राजनंदनगांव से एक बेहद ही अजीबो-गरीब खबर सामने आ रही है. यहां तीन कछुओं को तस्करों की वजह से वन विभाग की निगरानी में सजा काटनी पड़ रही है. जी हां आपने सही सुना, इंसानों की गलती की सजा अब जानवरों को भी भुगतनी पड़ रही है.

छत्तीसगढ़ के राजनंदनगांव से एक बेहद ही अजीबो-गरीब खबर सामने आ रही है. यहां तीन कछुओं को तस्करों की वजह से वन विभाग की निगरानी में सजा काटनी पड़ रही है. जी हां आपने सही सुना, इंसानों की गलती की सजा अब जानवरों को भी भुगतनी पड़ रही है.

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Vineeta Mandal
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तस्करों के आरोपों की सजा भुगत रहे हैं 3 कछुए, सालों से कर रहे हैं रिहाई का इंतजार

(सांकेतिक चित्र)

छत्तीसगढ़ के राजनंदनगांव से एक बेहद ही अजीबो-गरीब खबर सामने आ रही है. यहां तीन कछुओं को तस्करों की वजह से वन विभाग की निगरानी में सजा काटनी पड़ रही है. जी हां आपने सही सुना, इंसानों की गलती की सजा अब जानवरों को भी भुगतनी पड़ रही है. दरअसल, साल 2015 में पुलिस ने राजनंदगांव से कछुओं की तस्करी और तंत्र-मंत्र करने के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया था. इस घटना के बाद आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया लेकिन सभी कछुए अब भी वन विभाग के ऑफिस के प्लास्टिक के एक टैंक में कैद हैं.

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जानकारी के मुताबिक, जिस समय ये वारदात घटित हुई थी उस समयट चार कछुओं को बरामद किया गया था, जिसमें अब एक की मौत हो चुकी है. लेकिन बाकी बचे तीन कछुए पिछले चार सालों से ऑफिस में प्लास्टिक के बर्त में बंद है.

इस मामले में बसंतपुर की पुलिस ने सात आरोपियों को लोगों को ठगने और पैसे लेकर कछुए बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था. आरोपियों को कुछ दिनों बाद ही कोर्ट से जमानत मिल गई थी जबकि कछुओं को वन विभाग की देखरेख में सौंप दिया गया था.

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वन विभाग के अधिकारी पंकज राजपूत के मुताबिक, 'मामला अभी न्यायालय में है और सबूत के तौर पर कभी भी कछुओं की जरूरत पड़ सकती है इसलिए उन्हें सुरक्षित ठिकाने पर नहीं छोड़ा जा सकता. उन्होंने कहा कि कछुए वन विभाग की देखरेख में ही रह रहे हैं.'

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