छत्तीसगढ़: रेत के अवैध खनन को लेकर विपक्ष का विधानसभा में हंगामा

छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को विपक्षी दलों ने राज्य में अवैध रेत खनन और इसके दाम बढ़ने को लेकर जमकर हंगामा किया.

छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को विपक्षी दलों ने राज्य में अवैध रेत खनन और इसके दाम बढ़ने को लेकर जमकर हंगामा किया.

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Drigraj Madheshia
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छत्तीसगढ़: रेत के अवैध खनन को लेकर विपक्ष का विधानसभा में हंगामा

छत्तीसगढ़: रेत के अवैध खनन को लेकर विपक्ष का विधानसभा में हंगामा( Photo Credit : फाइल)

छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को विपक्षी दलों ने राज्य में अवैध रेत खनन और इसके दाम बढ़ने को लेकर जमकर हंगामा किया. वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य में रेत के अवैध खनन करने वालों पर सरकार कड़ी कार्रवाई कर रही है. विधानसभा में ध्यानाकर्षण के माध्यम से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के नेता धर्मजीत सिंह और भाजपा विधायक नारायण चंदेल ने कहा कि राज्य के 15 जिलों के लगभग 850 रेत घाट की नीलामी प्रक्रिया कागजों तक सिमटकर रह गयी है, जिसका खामियाजा आम जनता भुगतने को विवश है. वहीं रेत माफिया बेधड़क अवैध रेत खनन करके मनमर्जी पैसे ग्राहकों से वसूल रहे हैं.

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करोड़ों रुपये की रेत विगत तीन माह के भीतर ही अवैध रूप से बेची गयी है. राज्य के रायपुर, बिलासपुर, महासमुंद, जांजगीर-चांपा, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, मुंगेली, बस्तर, जगदलपुर, धमतरी, महासमुंद जिलों में प्रतिदिन दिनदहाड़े जेसीबी से अवैध रेत का दोहन किया जा रहा है. राज्य में बिना रायल्टी के रेत का अवैध परिवहन किया जा रहा है तथा रायल्टी के नाम से अवैध वसूली की जा रही है. विपक्षी दल के विधायकों ने कहा कि राज्य में रेत का अवैध खनन लगातार जारी है तथा रेत माफिया प्रति ट्रक 14 हजार से 15 हजार रुपये तक में रेत बेच रहे हैं.

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शिकायत के बावजूद किसी भी रेत घाट की जांच नहीं की गई है. रेत घाटों के विधिवत संचालन नहीं होने से ना केवल शासन की योजनाएं बंद पड़ी हैं, बल्कि जरूरतमंद लोग घर, मकान बनाने के लिए रेत के अभाव में परेशान हैं. जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि राज्य में रेत घाट की नीलामी प्रक्रिया पहली बार कागजो में लायी गयी है.

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23 नवंबर तक राज्य के सभी जिलों में अब तक कुल 247 रेत खदानों के लिए निविदा आमंत्रण सूचना (एनआईटी) जारी की जा चुकी है. जिनमें से 183 निविदायें खोली जा चुकी हैं. जिन रेत खदानों में पूर्व से पर्यावरण सम्मति प्राप्त थी, ऐसे 65 खदानों को तत्काल अग्रिम रायल्टी जमा कराकर अभिवहन पास जारी कर दिए गए हैं.

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इसमें लगभग एक करोड़ आठ लाख रूपए रायल्टी के रूप में शासन को प्राप्त हुए हैं. बघेल ने कहा कि इस वर्ष जनवरी माह से अक्टूबर माह तक रेत के अवैध उत्खनन/परिवहन के 3203 प्रकरण दर्ज करके तीन करोड़ 98 लाख रूपए समझौता राशि वसूल की जा चुकी है. राज्य के अधिकतर जिलों में खनिज, राजस्व एवं पुलिस विभाग की संयुक्त जांच दल गठित करके लगातार कार्यवाही की जा रही है. उन्होंने कहा कि राज्य के अधिकतर जिलों में रेत खदानों का संचालन प्रारंभ हो जाने से रेत की उपलब्ध हो रही है.

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आगामी महीनों में पर्यावरण सम्मति प्राप्त होने के बाद तीन सौ से भी अधिक रेत खदानें राज्य में संचालित हो जाएंगी जिससे रेत के मूल्य में कमी आएगी. बघेल ने कहा कि पुराने रेत नियम से पंचायतों को नाममात्र रायल्टी प्राप्त होती थी तथा वर्ष 2018-19 में अधिकतम 13.28 करोड़ रूपये ही रायल्टी के रूप में प्राप्त हुए. वहीं नवीन रेत नियम में सरकार को अब तक 10,000 से भी अधिक आवेदन प्राप्त हुये हैं और आवेदन शुल्क के रूप में ही 10.49 करोड़ रूपये प्राप्त हो चुके हैं.

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वर्तमान नवीन रेत नियम के तहत शासन को रायल्टी के रूप में 100 करोड़ रुपये, नीलामी राशि के रूप में 100 करोड़ रुपये, डी.एम.एफ मद में 10 करोड़ रुपये, पर्यावरण अधोसंरचना उपकर में 15 करोड़ रुपये, स्टैम्प ड्यूटी के रूप में लगभग 25 करोड़ रूपए. इस तरह कुल राजस्व 250 करोड़ रूपए प्राप्त होने की संभावना है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि नवीन रेत नियम में रेत के अवैध उत्खनन/परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण के लिए संचालनालय और जिला स्तर पर विशेष उड़नदस्ता दल का गठन किए जाने का प्रावधान किया गया है. बघेल के इस जवाब से विपक्ष के सदस्य संतुष्ठ नहीं हुए और उन्होंने सदन से बहिर्गमन किया. 

Source : Bhasha

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