Chhattisgarh: लाल गढ़ तक पहुंचा मोबाइल नेटवर्क, लोगों को मिलेगी सुविधा

छत्तीसगढ़ के बस्तर की पहचान धुर नक्सल प्रभावित इलाके की है और उसमें सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में सुकमा है. सुकमा के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां मोबाइल नेटवर्क का लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है. अब स्थितियां बदल रही हैं. संभवत: देश के बहुत कम हिस्से ऐसे हैं जहां वर्तमान दौर में मोबाइल नेटवर्क न पहुंचा हो. उन्हीं में से एक है बस्तर अंचल का सुकमा जिला, जहां अब तक मोबाइल नेटवर्क की पहुंच नहीं हो पा रही थी. वहां पर संचार सेवा उपलब्ध कराने के लिए नए-नए मोबाइल टॉवर लगाए जा रहे हैं. सुकमा जिले में जिला प्रशासन के निर्देशन में यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड द्वारा सर्वे कार्य कर वहां मोबाइल टॉवर स्थापित किए जा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के बस्तर की पहचान धुर नक्सल प्रभावित इलाके की है और उसमें सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में सुकमा है. सुकमा के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां मोबाइल नेटवर्क का लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है. अब स्थितियां बदल रही हैं. संभवत: देश के बहुत कम हिस्से ऐसे हैं जहां वर्तमान दौर में मोबाइल नेटवर्क न पहुंचा हो. उन्हीं में से एक है बस्तर अंचल का सुकमा जिला, जहां अब तक मोबाइल नेटवर्क की पहुंच नहीं हो पा रही थी. वहां पर संचार सेवा उपलब्ध कराने के लिए नए-नए मोबाइल टॉवर लगाए जा रहे हैं. सुकमा जिले में जिला प्रशासन के निर्देशन में यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड द्वारा सर्वे कार्य कर वहां मोबाइल टॉवर स्थापित किए जा रहे हैं.

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : Twitter )

छत्तीसगढ़ के बस्तर की पहचान धुर नक्सल प्रभावित इलाके की है और उसमें सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में सुकमा है. सुकमा के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां मोबाइल नेटवर्क का लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है. अब स्थितियां बदल रही हैं. संभवत: देश के बहुत कम हिस्से ऐसे हैं जहां वर्तमान दौर में मोबाइल नेटवर्क न पहुंचा हो. उन्हीं में से एक है बस्तर अंचल का सुकमा जिला, जहां अब तक मोबाइल नेटवर्क की पहुंच नहीं हो पा रही थी. वहां पर संचार सेवा उपलब्ध कराने के लिए नए-नए मोबाइल टॉवर लगाए जा रहे हैं. सुकमा जिले में जिला प्रशासन के निर्देशन में यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड द्वारा सर्वे कार्य कर वहां मोबाइल टॉवर स्थापित किए जा रहे हैं.

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बस्तर क्षेत्र में नक्सली हमेशा इस कोशिश में होते है कि इस क्षेत्र में मोबाइल सेवाओं का विस्तार न होने पाए, क्योंकि अगर ऐसा हो जाता है तो सुरक्षा बलों को सूचनाएं आसानी से मिल जाएंगी और नक्सलियों की गतिविधियों को रोकना आसान हो जाएगा. यही कारण है कि नक्सली टावर को ढहाने तक से नहीं चूकते.

विगत बीते महीनों में सुकमा में 13 स्थानों पर 4जी मोबाइल टॉवर स्थापित किए गए हैं. अधिकारियों ने बताया कि मई माह में सबसे पहले गीदमनाला में टॉवर स्थापित किया गया. टॉवर स्थापित होने पर कोंटा के संवेदनशील क्षेत्र के ग्राम मिनपा, एल्मागुण्डा, नागलगुण्डा के ग्रामीणों को 4जी नेटवर्क की सुविधा मिली. वर्तमान में अतकारीरास, कुमाकोलेंग, पोंदुम, चिंगावरम, पाकेला, किकिरपाल, रामपुरम, बड़ेसट्टी, गंजेनार में भी ग्रामीण 4जी नेटवर्क की सुविधा का लाभ ले रहे हैं. अब वे बिना किसी दिक्कत के लोगों से बात-चीत कर रहे है, अब वहां नेटवर्क की समस्या नहीं है.

ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर मोहम्मद शाहिद ने बताया कि यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड द्वारा नेटवर्क व्यवस्था में सुधार के लिए सर्वे का कार्य जारी है. इन इलाकों में 53 नए 4जी टॉवर स्थापित करने के साथ ही वर्तमान में क्रियाशील 2जी और 3जी के 26 टॉवरों को 4जी में अपग्रेड करने की योजना है.

-- आईएएनएस

एसएनपी/एसकेपी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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