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छत्तीसगढ़ सरकार शराब पर सख्त, उपभोग में कमी लाने के लिए रोडमैप तैयार

बैठक में शराबबंदी के बाद सामाजिक और आर्थिक प्रभाव का अध्ययन करने के लिए गुजरात, बिहार और ओडिशा दौर पर जाने को लेकर भी चर्चा हुई

Updated on: 10 Oct 2019, 12:39 PM

highlights

  • छत्तीसगढ़ सरकार शराब पर सख्त. 
  • शराब (Liquor or alcohol products) की डिमांड करने का रोडमैप (Road Map) तैयार. 
  • अचानक से नहीं बंद होगी शराब, धीरे धीरे खत्म की जाएगी डिमांड.

नई दिल्ली:

छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) शराब (Liquor or alcohol products) की डिमांड करने का रोडमैप (Road Map) तैयार कर रही है. इसी कड़ी में बुधवार के प्रशासनिक समिति की पहली बैठक है जिसमें यह तय हुआ है कि जनजागरूकता लाकर शराब की डिमांड कम की जाएगी. सरकार का मानना है कि जब डिमांड कम होगी तो सप्लाई अपने आप ही नीचे आ जाएगी.

बैठक में शराबबंदी के बाद सामाजिक और आर्थिक प्रभाव का अध्ययन करने के लिए गुजरात, बिहार और ओडिशा दौर पर जाने को लेकर भी चर्चा हुई। आबकारी आयुक्त और समिति के अध्यक्ष निरंजन दास ने कहा कि एक माह के भीतर दौर पर जाने की कोशिश रहेगी।

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जनजागरूकता में इस फील्ड में कार्यरत एनजीओ की भी मदद ली जाएगी. यह सुझाव भी आया कि केवल शराब ही नहीं, तंबाखू और दूसरे नशे के खिलाफ भी प्राथमिक कक्षाओं से पढ़ाया जाए। प्रशासनिक समिति में महिला एवं बाल विकास, शिक्षा विभाग और पुलिस विभाग को भी जोड़ने का सुझाव आया। बैठक में 11 बिंदुओं पर चर्चा हुई।

नवा रायपुर अटलनगर के आबकारी भवन में आबकारी आयुक्त की अध्यक्षता में प्रशासनिक समिति की बैठक की गई, जिसमें पद्मश्री फूलबासन बाई, पद्मश्री शमशाद बेगम, सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा शर्मा और विधायक कुंवर निषाद व संगीता सिन्हा शामिल रहे. सभी ने कहा कि एक झटके में शराबबंदी करने से सामाजिक और आर्थिक नुकसान हो सकता है।

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इसी के साथ ये चिंता भी व्यक्त की गई कि अचानक शराब न मिलने से शराब पीने वालों की मृत्यु भी हो सकती है। इस कारण पहले जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा. शमशाद बेगम शराबबंदी के लिए गठित महिला कमांडो की प्रमुख भी हैं, उन्होंने कहा कि जनजागस्र्कता में महिला कमांडो सहयोग करेंगे। 14 जिले में 65 हजार महिला कमांडो हैं। समिति के लोगों ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में शराब से चार हजार करोड़ का राजस्व मिला था। शराब से होने वाली आय को नशामुक्ति अभियान और शराब छोड़ने वाले गरीब लोगों के परिवार के कल्याण में खर्च किया जाना चाहिए।