आज से तीन दिन तक छत्तीसगढ़ मनाएगा अपना स्थापना दिवस, राष्ट्रपति और पीएम ने दी बधाई
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की18वीं वर्षगांठ पर आज नवम्बर को राजधानी रायपुर में तीन दिवसीय राज्योत्सव का शुभारंभ होगा. आयोजन यहां ग्राम तूता (अटल नगर) स्थित पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्योग एवं व्यापार परिसर में किया जाएगा. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शाम सात बजे राज्योत्सव 2018 का शुभारंभ करेंगी. आयोजन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
रायपुर:
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की18वीं वर्षगांठ पर आज नवम्बर को राजधानी रायपुर में तीन दिवसीय राज्योत्सव का शुभारंभ होगा. आयोजन यहां ग्राम तूता (अटल नगर) स्थित पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्योग एवं व्यापार परिसर में किया जाएगा. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शाम सात बजे राज्योत्सव 2018 का शुभारंभ करेंगी. आयोजन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. समापन समारोह तीन नवम्बर को रात्रि 7.30 बजे आयोजित किया जाएगा. छत्तीसगढ़ लोक आयोग के प्रमुख लोकायुक्त न्यायमूर्ति श्री टी.पी. शर्मा राज्योत्सव के समापन समारोह के मुख्य अतिथि होंगे. राज्योत्सव के तीन दिवसीय आयोजन में प्रतिदिन शाम 6 बजे से प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.
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सांस्कृतिक संध्या के अंतर्गत पहले दिन एक नवम्बर को बस्तर बैंड के कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे.उनके कार्यक्रम के बाद ’ एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ अभियान के तहत गुजरात राज्य के कलाकारों द्वारा और उनके बाद मुम्बई के पार्श्वगायक श्री नीति मोहन और उनकी कला मंडली द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे. दूसरे दिन दो नवम्बर को राजधानी रायपुर स्थित दिव्यांगों की संस्था ’कोंपलवाणी’ के कलाकार और रायपुर के ही श्रीराम संगीत महाविद्यालय तथा कमलादेवी संगीत महाविद्यालय के कलाकारों के कार्यक्रम होंगे. उनके बाद अंकिता राउत द्वारा ओडिशी नृत्य का प्रदर्शन किया जाएगा.
रजी मोहम्मद और उनकी टीम के कलाकार भी अपनी संगीतमय प्रस्तुति देंगे. तीसरे दिन तीन नवम्बर को तृतीय लिंग समुदाय के कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. उनके कार्यक्रम के बाद इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के कलाकारों के द्वारा और मुम्बई के संगीतकार मोण्टी शर्मा और उनकी टीम के द्वारा अपनी प्रस्तुति दी जाएगी.
छत्तीसगढ़ के जम्मो मनखे मन ला "छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस" के गाड़ा-गाड़ा बधाई। छत्तीसगढ़ के संगे-संग, हमर देस बिकास के नवा-नवा कीर्तिमान रचय, एखर बर मोर डहर ले अब्बड़ सुभकामना — राष्ट्रपति कोविन्द
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 1, 2018
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एक नवम्बर को छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की 18वीं वर्षगाठ पर सभी लोगों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर आज यहां जारी बधाई संदेश में कहा है कि यह एक यादगार और ऐतिहासिक दिन है.
पीएम मोदी ने ट्वीट करके बधाई दी है.
यह अटल जी की दूरदृष्टि थी कि छत्तीसगढ़ के गठन का सपना साकार हुआ।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 1, 2018
समय के साथ राज्य ने कई क्षेत्रों में विशेषकर कृषि में उल्लेखनीय प्रगति की है।
छत्तीसगढ़ के लोगों को राज्य के स्थापना दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
यह राज्य निरंतर विकास की नई-नई ऊंचाइयों को छूता रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक नवम्बर का दिन छत्तीसगढ़ सहित देश के कई राज्यों के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने एक नवम्बर को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक राज्यों के स्थापना दिवस पर वहां की जनता को भी बधाई दी है.
समस्त छत्तीसगढ़वासियों को राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई। श्रद्धेय श्री अटल जी ने राज्य का निर्माण करके छत्तीसगढ़ के विकास की राह बनाई थी। आज इसे तेजी से विकसित होते राज्यों में गिना जाता है। पर अभी और आगे जाना है, आइए साथ मिलकर छत्तीसगढ़ को विकास की नई ऊँचाइयों पर ले जाएँ। pic.twitter.com/QrtE0COByO
— Dr Raman Singh (@drramansingh) November 1, 2018
कब बना छत्तीसगढ़
मध्य प्रदेश से बनाया गया यह राज्य भारतीय संघ के 26 वें राज्य के रूप में 1 नवंबर, 2000 को पूर्ण अस्तित्व में आया. इससे पूर्व छत्तीसगढ़ 44 वर्ष तक मध्य प्रदेश का एक अंग रहा था. प्राचीन काल में इस क्षेत्र को 'दक्षिण कोशल' के नाम से जाना जाता था. इस क्षेत्र का उल्लेख रामायण और महाभारत में भी मिलता है. छठी और बारहवीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया. कलचुरी और नागावंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर लम्बे समय तक शासन किया. कलचुरियों ने छत्तीसगढ़ पर सन् 980 से लेकर 1791 तक राज किया. सन् 1854 में अंग्रेज़ों के आक्रमण के बाद महत्त्व बढ़ गया सन् 1904 में संबलपुर उड़ीसा में चला गया और 'सरगुजा' रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आ गई.
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