छत्तीसगढ़ : छोटी-छोटी बातों पर भी पति-पत्नी पहुंच रहे कोर्ट

सबसे बड़ी बात यह कि अदालत की लड़ाई में दाम्पत्य जीवन हार रहा है. परिवार अदालत और मध्यस्थता केंद्र की कोशिशों के बावजूद पति-पत्नी तलाक लेकर अलग रहना अधिक पसंद कर रहे हैं.

सबसे बड़ी बात यह कि अदालत की लड़ाई में दाम्पत्य जीवन हार रहा है. परिवार अदालत और मध्यस्थता केंद्र की कोशिशों के बावजूद पति-पत्नी तलाक लेकर अलग रहना अधिक पसंद कर रहे हैं.

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yogesh bhadauriya
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प्रतीकात्मक तस्वीर( Photo Credit : News State)

पति-पत्नी में आपसी सामंजस्य की कमी के चलते परिवारों में बिखराव के मामले परिवार न्यायालय (Court) में लगातार बढ़ रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह कि अदालत की लड़ाई में दाम्पत्य जीवन हार रहा है. परिवार अदालत और मध्यस्थता केंद्र की कोशिशों के बावजूद पति-पत्नी तलाक लेकर अलग रहना अधिक पसंद कर रहे हैं.

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बच्चों को बनाया जा रहा हथियार

पति-पत्नी की लड़ाई में बच्चों को भी हथियार बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है. जानकारों की मानें तो इसकी मुख्य वजह पति-पत्नी का अहंकार, शराब और ज्यादातर तो आईपीसी की धारा 498ए का दुरुपयोग है. आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 2020 में अब तक 2 हजार 196 मैरिज पिटीशन पेंडिंग हैं, जिसमें से 387 प्रकरणों का निराकरण हुआ है.

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छोटे झगड़ों में भी पहुंचते हैं थाने

पति-पत्नी छोटे मोटे झगड़ों को लेकर थाने पहुंच रहे हैं. इसमें अधिकांश मामला शराबी पति से तंग और मारपीट सहित प्रताड़ना का होता है.

की जाती है काउंसलिंग

महिला थाने में रोज हो रहे दर्ज मामले को आपसी सहमति से सुलझाने के लिए हर सप्ताह दो दिन महिला परामर्श की टीम बैठती है, जो पति और पत्नी के बीच सुलह कराने का प्रयास करती है. आंकड़ों के अनुसार वास्तव में महिलाओं के साथ प्रताड़ना का मामला तो आता ही है पर अधिकांश मामले महिलाओं की सुरक्षा और हित में बने कानून 498 और 498ए के दुरुपयोग करने के मामले भी आ रहे हैं.

वहीं महिला थाने में प्रयास के बाद पति-पत्नी में विवाद का मामला कुटुंब न्यायालय पहुंचता है. यहां भी प्रकरण की सुनवाई से पहले एक बार मामले को सुलझाने की कोशिश की जाती है. लेकिन माता-पिता के इस झगड़े में ज्यादा प्रभावित उनके बच्चे होते हैं. दिनभर मां पिता की लड़ाई उनके दिमाग मे बैठ जाती है.

Source : News State

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