छत्तीसगढ़ में रमन सरकार ने राज्य में शराबबंदी पर सुझाव देने के लिए 10 सदस्यों की कमेटी बनाई थी. कमेटी के सदस्यों ने तमिलनाडु और केरल का दौरा करने के बाद सरकार को जो रिपोर्ट दी, उसमें शराबबंदी को लागू करने की सिफारिशों की जगह अच्छी क्वालिटी की शराब और बियर की खपत बढ़ाने के सुझाव अधिक थे. भूपेश कैबिनेट ने मंगलवार को अध्ययन दल की रिपोर्ट देखी तो कैबिनेट के सदस्य सन्न रह गए. इस रिपोर्ट को निरस्त कर नई कमेटी से शराबबंदी लागू करने की सिफारिश मांगने का निर्णय लिया गया.
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रिपोर्ट में शराब की लत कम करने बीयर और वाइन को बढ़ावा देने के सुझाव दिए गए. तमिलनाडु और केरल में आबकारी थाने बने हुए हैं. इसके जरिए अवैध शराब पर वहां रोक लगी है. शराबबंदी न करने पर राजस्व की सुरक्षा की दृष्टि से इन राज्यों द्वारा अपनाई गई व्यवस्था को लाया जा सकता है. शराब के उपभोग में कमी लाने के लिए प्रयास किए जा सकते हैं. इसमें पुनर्वास केंद्र बनाने की सिफारिश की गई. लेकिन आबकारी दुकानों की संख्या में किसी भी तरह की कमी लाने की सिफारिश नहीं की गई.
शराबबंदी के दौरे पर लाखों रुपए खर्च
अध्ययन दल में तत्कालीन सचिव डीडी सिंह, सांसद दिनेश कश्यप, कमलादेवी पाटले, अशोक साहू, रोहित कुमार साय, फूलबासन यादव, विभा राव, दीपक बत्रा, डा. शशांक गुप्ता और पूर्व चेंबर अध्यक्ष अमर परवानी शामिल थे. दल के शराबबंदी के दौरे पर लाखों रुपए खर्च किए. दल के सदस्य तमिलनाडु और केरल के दौरे पर फ्लाईट से गए,फाइव स्टार होटल में ठहरे थे. लेकिन शराबबंदी करने की दिशा में अध्ययन दल ने किसी भी तरह की ठोस पहल नहीं की.
Source : News Nation Bureau