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छत्तीसगढ़ : बंद कमरों में नहीं खुले आसमान के नीचे पानी में तैरते हुए होगी भूपेश बघेल मंत्रिमंडल की बैठक

सरकार इस बैठक के जरिए सतरेंगा को पर्यटन केंद्र की पहचान दिलाना चाहती है.

Updated on: 27 Feb 2020, 03:05 PM

Raipur:

छत्तीसगढ़ की सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है, इसी के तहत अब भूपेश बघेल मंत्रिमंडल की बैठक कोरबा जिले के हसदेव बांगों जलाशय के सतरेंगा में होने वाली है. सरकार इस बैठक के जरिए सतरेंगा को पर्यटन केंद्र की पहचान दिलाना चाहती है. सतरेंगा राजधानी से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर कोरबा जिले में स्थित प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण होने के साथ ही मनोरम पर्यटन स्थल है. यही कारण है कि, जल सौंदर्य से परिपूर्ण इस स्थान पर भूपेश बघेल की कैबिनेट बैठक 29 फरवरी को होने वाली है. इसके लिए फ्लोटिंग कैबिनेट हॉल तैयार किया गया है, जिसमें बैठक कर भूपेश कैबिनेट के कई अहम फैसले लेने जा रहे हैं.

राज्य के गठन के बाद संभवत: यह पहला मौका है जब कैबिनेट की बैठक राजधानी रायपुर से बाहर होने वाली है. बताया गया है कि, हसदेव बांगों जलाशय में पर्यटन की असीम संभावनाओं के मद्देनजर योजनाबद्घ ढंग से विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है. इस तारतम्य में 29 फरवरी को मंत्रिमंडल की बैठक हसदेव बांगों जलाशय के सतरेंगा में आयोजित की जा रही है.

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सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार सतरेंगा को जल पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित करना चाहती है और उसी के मद्देनजर कैबिनेट की बैठक यहां हो रही है, और तमाम सुविधाएं यहां जुटाई जा रही हैं. राज्य सरकार माईस टूरिज्म की अवधारणा को विकसित करना चाहती है. माईस टूरिज्म पर्यटन का एक ऐसा स्वरूप है, जिसमें व्यक्ति, समूह अथवा व्यावसायिक तथा विभिन्न कंपनियां अपने कार्यों के साथ-साथ उस क्षेत्र के पर्यटन स्थलों के आनंद की अनुभूति कर सकते हैं. माईस टूरिज्म लोगों की कार्य क्षमता बढ़ाने का नवीनतम साधन है.

सूत्रों के अनुसार, विशेषज्ञों की सलाह से विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर इसे राज्य का अग्रणी तथा खूबसूरत पर्यटन स्थल बनाए जाने की योजना है. राज्य शासन का उद्देश्य यहां भविष्य में फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, क्रूज, हाउस बोट, गोल्फ कोर्स, सभी तरह की साहसिक जल क्रीड़ा, फ्लोटिंग कॉटेज्स आदि उपलब्ध कराए जाने का है. सतरेंगा के इस पर्यटन स्थान को सड़क तथा वायुमार्ग से भी जोड़े जाने की कार्ययोजना बनाई जाएगी.

बताया गया है कि, यह पर्यटन परियोजना के विकास से सुदूर अंचल में स्थित सतरेंगा क्षेत्र के स्थानीय जनजातियों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के नवीन अवसर भी उपलब्ध कराने में सहायक होगा. इस कोशिश के चलते सतरेंगा-बुका क्षेत्र जल पर्यटन तथा प्राकृतिक जल सौंदर्य और साहसिक गतिविधियों के लिए राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी महत्वपूर्ण पहचान बना सकेगा.