CG: मोबाइल दाई-दीदी क्लीनिक से उपचार, महिलाओं को मिल रहा हैं सुविधा
छत्तीसगढ़ में महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए दो साल पहले शुरू की गई मुख्यमंत्री दाई-दीदी मोबाइल क्लीनिक योजना स्लम बस्तियों के परिवारों के लिए राहत देने वाली साबित हो रही है. इसके जरिए दो साल में एक लाख 32 हजार से ज्यादा महिलाएं लाभान्वित हुई हैं. राज्य सरकार ने दो साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर महिलाओं के लिए दाई-दीदी क्लीनिक की शुरूआत की थी. देश में यह अपने तरह की पहली और अकेली योजना है, जिसमें महिला डॉक्टरों की टीम महिलाओं का उपचार कर रही है.
रायपुर:
छत्तीसगढ़ में महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए दो साल पहले शुरू की गई मुख्यमंत्री दाई-दीदी मोबाइल क्लीनिक योजना स्लम बस्तियों के परिवारों के लिए राहत देने वाली साबित हो रही है. इसके जरिए दो साल में एक लाख 32 हजार से ज्यादा महिलाएं लाभान्वित हुई हैं. राज्य सरकार ने दो साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर महिलाओं के लिए दाई-दीदी क्लीनिक की शुरूआत की थी. देश में यह अपने तरह की पहली और अकेली योजना है, जिसमें महिला डॉक्टरों की टीम महिलाओं का उपचार कर रही है.
पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में रायपुर, दुर्ग-भिलाई और बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र के लिए तीन स्पेशल मोबाइल दाई-दीदी क्लीनिक की शुरूआत हुई. इस दाई-दीदी स्पेशल क्लीनिक में डॉक्टर सहित सभी मेडिकल स्टाफ महिलाएं है. केवल महिलाओं का ही फ्री इलाज किया जा रहा है. मुख्यमंत्री दाई-दीदी मोबाइल क्लीनिकों के माध्यम से अब तक राज्य में करीब 1776 कैम्प लगाएं जा चुके हैं. इनमंे रायपुर, बिलासपुर एवं भिलाई नगर निगम क्षेत्र की स्लम बस्तियों में रहने वाली एक लाख 32 हजार 888 महिलाओं एवं बच्चियों का उनके घर के पास ही दाई-क्लीनिक कैंप के माध्यम से इलाज किया गया है.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा मुख्यमंत्री दाई-दीदी क्लिनिक योजना संचालित है. योजना के तहत दाई-दीदी क्लिनिक की मोबाइल मेडिकल यूनिट के वाहन में महिला चिकित्सकों और महिला स्टॉफ की टीम पहुंचती है तथा जरूरतमंद महिलाओं एवं बच्चियों की विभिन्न बीमारियों का नि:शुल्क इलाज करती है. इन मोबाइल मेडिकल यूनिट द्वारा 24 हजार 146 महिलाओं का लैब टेस्ट किया गया तथा एक लाख 27 हजार 99 महिलाओं को नि:शुल्क दवाईयां दी गई. इससे गरीब स्लम क्षेत्र में रहने वाली तथा मेहनत मजदूरी करने वाली ऐसी महिलाएं जो समयाभाव या अन्य कई कारणों से अपना इलाज नहीं करा पा रही थी, उन्हें इलाज की सुविधा घर के पास ही महिला चिकित्सकों और चिकित्सा स्टॉफ के माध्यम से मिल रही है.
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