छत्तीसगढ़ में पैर पसार रहा ब्लैक फंगस, पिछले तीन दिनों में 2 लोगों की मौत
छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. पिछले तीन दिनों में इस फंगस से 2 लोगों की मौत हो चुकी है. दुर्ग में हुई पहली मौत के बाद आज दूसरी मौत महासमुंद में हुई है.
रायपुर:
छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. पिछले तीन दिनों में इस फंगस से 2 लोगों की मौत हो चुकी है. दुर्ग में हुई पहली मौत के बाद आज दूसरी मौत महासमुंद में हुई है. महासमुंद के प्राइवेट हॉस्पिटल में ब्लैक फंगस के 6 मरीजों को भर्ती कराया गया था, जिसमें से एक मरीज की मौत हो गयी है. महासमुंद के जैन नर्सिंग होम में दो दिन पहले ही ब्लैक फंगस के 6 मरीज मरीज भर्ती कराये गये थे. कोरोना संक्रमण से उबरे इन मरीजों में एक मरीज की मौत इलाज के दौरान हो गयी, जबकि एक मरीज की स्थिति गंभीर है, जिसे रायपुर के एम्स में रेफर किया गया है. वहीं 4 मरीजों का इलाज महासमुंद में ही चल रहा है.
और पढ़ें: ब्लैक फंगस कैसे होता है, कोरोना से क्या संबंध है और इससे कैसे बचा जा सकता है....जानिए सब कुछ
म्यूकोर्मिकोसिस कैसे होता है?
म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस, फंगल संक्रमण से पैदा होने वाली जटिलता है. लोग वातावरण में मौजूदफंगस के बीजाणुओं के संपर्क में आने से म्यूकोर्मिकोसिस की चपेट में आते हैं. शरीर पर किसी तरह की चोट, जलने, कटने आदि के जरिए यह त्वचा में प्रवेश करता है और त्वचा में विकसित हो सकता है.
कोविड-19 से उबर चुके हैं या ठीक हो रहे मरीजों में इस बीमारी के होने का पता चल रहा है. इसके अलावा, जिसे भी मधुमेह है और जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है, उसे इसे लेकर सावधान रहने की जरूरत है.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा जारी किए गए एक परामर्श के अनुसार, कोविड-19 रोगियों में निम्नलिखित दशाओं से म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है:
अनियंत्रित मधुमेह
स्टेरॉयड के उपयोग के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना
लंबे समय तक आईसीयू/अस्पताल में रहना
सह-रुग्णता/अंग प्रत्यारोपण के बाद/कैंसर
वोरिकोनाजोल थेरेपी (गंभीर फंगल संक्रमण का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाती है)
सामान्य लक्षण क्या हैं?
हमारे माथे, नाक, गाल की हड्डियों के पीछे और आंखों एवं दांतों के बीच स्थित एयर पॉकेट में त्वचा के संक्रमण के रूप में म्यूकोर्मिकोसिस दिखने लगता है. यह फिर आंखों, फेफड़ों में फैल जाता है और मस्तिष्क तक भी फैल सकता है. इससे नाक पर कालापन या रंग मलिन पड़ना, धुंधली या दोहरी दृष्टि, सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई और खून की खांसी होती है. आईसीएमआर ने सलाह दी है कि बंद नाक के सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसिसिस के मामलों के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, खासकर कोविड-19 रोगियों के उपचार के दौरान या बाद मेंबंद नाक के मामलों को लेकर ऐसा नहीं करना चाहिए. फंगल संक्रमण का पता लगाने के लिए चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए.
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