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भूपेश बघेल की विदाई? कांग्रेस आलाकमान की चाहत- छत्तीसगढ़ में फॉर्मूला के आधार पर हो काम

पंजाब के बाद अब छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में घमासान जारी है. छत्तीसगढ़ में लगातार सीएम भूपेश बघेल  के खिलाफ बागी रुख अपनाया जा रहा है और उन्हें हटाने की मांग उठ रही है.

Updated on: 27 Aug 2021, 05:03 PM

नई दिल्ली:

पंजाब के बाद अब छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में घमासान जारी है. छत्तीसगढ़ में लगातार सीएम भूपेश बघेल  के खिलाफ बागी रुख अपनाया जा रहा है और उन्हें हटाने की मांग उठ रही है. इस बीच छत्तीसगढ़ को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि कांग्रेस आलाकमान चाहता है कि फॉर्मूला के आधार पर काम हो. भूपेश बघेल रोटेशन वाली बात का सम्मान करें. भूपेश बघेल खुद अपने इस्तीफे की पेशकश करें और अगले के लिए रास्ता बनाए. बताया जा रहा है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) और टीएस सिंह देव (TS Singh Deo) की बैठक के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा. इस बैठक में प्रियंका गांधी भी शामिल हुई हैं.

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कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ के सीएम बघेल को तलब किया

कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को शुक्रवार को दिल्ली तलब किया है. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व यह अंतिम निर्णय करना चाहता है कि क्या शक्तिशाली ओबीसी नेता को मुख्यमंत्री बने रहने दिया जाए या उनकी जगह सरगुजा शाही परिवार के वंशज टीएस सिंह देव को मुख्यमंत्री बनाया जाए. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के भीतर राजनीतिक तापमान अचानक बढ़ गया है, क्योंकि पार्टी के 56 विधायक खुलेआम बघेल का समर्थन कर रहे हैं और वे नई दिल्ली में पार्टी आलाकमान के सामने परेड करने के लिए तैयार हैं. उनमें से अधिकांश पहले ही राष्ट्रीय राजधानी में आ चुके हैं.

खनिज समृद्ध राज्य में 90 सदस्यीय सदन में कांग्रेस के 70 विधायक हैं, लेकिन फिर भी पुरानी पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है क्योंकि सिंह देव, बघेल को बदलने के लिए जोर लगा रहे हैं. देव का कहना है कि उनसे 2018 के अंत में वादा किया गया था कि वह बाद में अपना ढाई साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद बघेल का स्थान लेंगे.

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छत्तीसगढ़ में विश्लेषकों को कांग्रेस आलाकमान के पूरे प्रकरण को संभालने की कोशिश करने पर हैरानी हुई है, क्योंकि सिंह देव की पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच स्वीकार्यता और जनता में अपील की कमी है. कांग्रेस के अधिकांश विधायकों का कहना है कि राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता पैदा करने की क्या जरूरत है जब बघेल असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और कांग्रेस आलाकमान ने भी इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है.

कांग्रेस छत्तीसगढ़ में 2018 के अंत में 15 साल के अंतराल के बाद सत्ता में लौटी, क्योंकि बघेल ने अजेय भाजपा शासन के खिलाफ एक उत्साही लड़ाई लड़ी और बघेल के आह्वान पर पूरे प्रभावशाली ओबीसी समुदाय ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. ओबीसी समुदाय राज्य की अनुमानित 2.75 करोड़ आबादी का लगभग आधा है. विश्लेषकों का कहना है कि अगर बघेल को हटा दिया जाता है, तो ओबीसी समुदाय इस अपमान को कभी स्वीकार नहीं करेगा और पार्टी को खनन राज्य में वापसी की संभावना तलाशने के लिए 15 साल और इंतजार करना होगा.