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जशपुर में प्रतिमा का अनावरण के बाद भागवत ने घर वापसी अभियान याद किया

छत्तीसगढ़ के जशपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ संचालक मोहन भागवत ने जशपुर नरेश स्व. दिलीप सिंह जूदेव की आदमकद प्रतिमा का अनावरण करते हुए जूदेव के घर वापसी अभियान को याद किया. जनजाति गौरव दिवस के उपलक्ष्य मे रणजीता स्टेडियम मे आयोजित जनसभा में संघ प्रमुख भागवत ने बिरसा और स्व. दिलीप सिंह जूदेव को भारतीय समाज का आदर्श बताया और कहा कि वन- जंगल और खेत - खलिहान से ही भारतीय संस्कृति का उद्गम तथा प्रगति हुई है.

Updated on: 14 Nov 2022, 08:32 PM

जशपुर:

छत्तीसगढ़ के जशपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ संचालक मोहन भागवत ने जशपुर नरेश स्व. दिलीप सिंह जूदेव की आदमकद प्रतिमा का अनावरण करते हुए जूदेव के घर वापसी अभियान को याद किया. जनजाति गौरव दिवस के उपलक्ष्य मे रणजीता स्टेडियम मे आयोजित जनसभा में संघ प्रमुख भागवत ने बिरसा और स्व. दिलीप सिंह जूदेव को भारतीय समाज का आदर्श बताया और कहा कि वन- जंगल और खेत - खलिहान से ही भारतीय संस्कृति का उद्गम तथा प्रगति हुई है.

उन्होने जूदेव से अपनी कुछ मुलाकातों का स्मरण करते हुए कहा कि जूदेव एक वीर प्रकृति के निर्भय व्यक्तित्व थे. राज पाट के बावजूद उनकी विनम्रता और अपने देश, समाज तथा संस्कृति के प्रति किया गया योगदान अनुकरणीय तथा अविस्मरणीय है. दिलीप जूदेव का घर वापसी अभियान जनजातीय गौरव का प्रतीक है. ऐसी ही राष्ट्र व संस्कृति के प्रति प्रेम की भावना बिरसा मुंडा में भी थी.

मोहन भागवत ने रामायण प्रसंग और पंचतंत्र की लघु कथाओं के माध्यम से उपस्थित समाज की अपनी सभ्यता, धर्म व संस्कारों के विस्मृत भावनाओं को गौरव के साथ जीवन मे शामिल करने की आवश्यकता व्यक्त की.

अपने धर्म और अपनी संस्कृति पर नाज करने की नसीहत देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि जनजातीय गौरव भारतीय जीवन पद्धति का मूल है. जूदेव और भगवान बिरसा मुंडा की तरह अपने धर्म तथा संस्कृति पर समाज का विश्वास बढाने हेतु सभी को आगे आकर सहभागी बनना होगा.

इस जनजाति गौरव दिवस पर आयोजित जनसभा मे संघ के वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय तथा प्रांतीय प्रभारियों ने धर्म परिवर्तन के विरुद्ध सजग और निडर होकर मुहिम का हिस्सा बनने की जरुरत बताई.

इस अवसर पर जशपुर राजपरिवार के सदस्यों के अलावा जशपुर समेत ओडिशा और झारखंड के भी लोग बड़ी संख्या मे रणजीता स्टेडियम पहुंचे. जनसैलाब के बीच मोहन भागवत ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ जूदेव की प्रतिमा का अनावरण कर पुष्पांजलि अर्पित की.