छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता एक बार फिर सामने आई है. आलम यह है कि प्राइमरी के सिर्फ 51.67 प्रतिशत बच्चों में भाषा, गणित और पर्यावरण को जानने-समझने की क्षमता है. वहीं अपर प्राइमरी स्कूल स्तर पर स्थिति और खराब है. यहां सिर्फ 45 प्रतिशत बच्चे ही हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान में बेहतर कर पाते हैं. ये तस्दीक हो रही है नीति आयोग की ओर से जारी सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) सूचकांक में.
रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ तमाम नए राज्यों से पिछड़ते हुए 19वें स्थान पर है.
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प्रदेश में लगातार शिक्षा के लिए शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाया जा रहा है. पिछले सालों में बजट कई गुना बढ़ाया गया. एक तरफ सरकारी स्कूलों के बच्चों का दाखिला स्तर गिरा और दूसरी तरफ बजट बढ़ा है. नीति आयोग के मुताबिक 2030 तक सभी कमियों को दूर करके सभी के लिए गुणात्मक शिक्षा देने का लक्ष्य है. ऐसे में जिस गति से प्रदेश चल रहा है, उससे लक्ष्य दूर होता दिख रहा है.
Source : News Nation Bureau