छ्त्तीसगढ़ में पारले जी बिस्किट कारखाने से 26 बच्चे बचाए गए

पारले जी कारखाने में बच्चे केवल 5,000 से 7,000 रुपये तक के वेतन में सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक काम किया करते थे

पारले जी कारखाने में बच्चे केवल 5,000 से 7,000 रुपये तक के वेतन में सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक काम किया करते थे

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Sushil Kumar
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छ्त्तीसगढ़ में पारले जी बिस्किट कारखाने से 26 बच्चे बचाए गए

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जिला कार्यबल (डीटीएफ) ने लोकप्रिय बिस्किट ब्रांड पारले-जी की विनिर्माण इकाई से वहां मजदूरी कर रहे 26 बच्चों को बचाया है. जिला बाल संरक्षण अधिकारी नवनीत स्वर्णकार ने शनिवार को कहा, "जिला कलेक्टर के निर्देश पर हमने एक अभियान चलाया और पारले-जी बिस्किट कारखाने से 26 बच्चों को बचाया. बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) को रायपुर में अमासिवनी क्षेत्र में बड़ी संख्या में बच्चों के काम करने की सूचना मिलने के बाद अभियान चलाया गया.

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बचाए गए अधिकांश बच्चों की आयु 12 से 16 वर्ष के बीच है और वे झारखंड, ओडिशा और बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बच्चों द्वारा दिए गए बयानों के अनुसार, प्रति माह केवल 5,000 से 7,000 रुपये तक के वेतन में वे सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक काम किया करते थे. बीबीए के सीईओ समीर माथुर ने कहा, "पारले-जी जैसा ब्रांड हमारे देश में एक घरेलू नाम है और लाखों बच्चों के बीच इसकी पहचान है, उसे इस रूप में देखना बहुत निराशाजनक है. बचाव कार्य के बाद बच्चों को राज्य सरकार द्वारा संचालित बाल गृह भेज दिया गया और जेजे एक्ट की धारा 79 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई.

HIGHLIGHTS

  • 26 बच्चे को पारले जी बिस्कुट फैक्ट्री से निकाला
  • बाल मजदूरी में था संलिप्त
  • ज्यादातर बच्चे बिहार के रहने वाले हैं
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