Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में घर में तोता पालना अब अपराध नहीं है, क्योंकि राज्य के वन विभाग ने ऐसा जारी किया अपना एक आदेश वापस ले लिया है, जिससे पैरट लवर्स में खुशी है. पशु-पक्षियों से मानव प्रेम का इतिहास रहा है, खास कर तोता तो कई घरों का बेहद प्रिय रहा है. इसके पीछे तोता का घरेलू और आसानी से ट्रेंड हो जाना बड़ी वजह है. नकल करने वाले तोता की तो बात ही निराली है, लेकिन अपने देश में छत्तीसगढ़ राज्य के पैरट लवर्स की टेंशन पिछले दिनों काफी बढ़ गई थी, जिन्हें अब राहत मिली है. जानिए- क्या है ये पूरा मामला?
तोता पालना, अब अपराध नहीं
पक्षी प्रेमियों के लिए खुशखबरी है और वो ये है कि छतीसगढ़ के वन विभाग ने अपने उस आदेश को फिलहाल स्थगित कर दिया है जिसके तहत तोता पालने पर बैन लगाया गया था. पिछले सख्त आदेश के रोक पर पैरट लवर्स ने अब राहत की सांस ली है. छत्तीसगढ़ वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक ने पिछला आदेश वापस ले लिया है. फिलहाल तोता या दूसरे पक्षी पालने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी.
जानिए क्या है पूरा मामला
23 अगस्त को जारी एक निर्देश में विभाग ने बाजारों में बिक रहे तोते और बाकी पक्षियों की बिक्री पर रोक का आदेश जारी किया था और 7 दिनों के भीतर कानन पेंडारी जू में अपना पालतू तोता जमा कराने का निर्देश दिया गया. वरना कानूनी धाराओं के तहत जेल तक की सजा हो सकती थी. वन विभाग के इस आदेश के बाद तोता पालकों में हड़कंप मच गया. कार्रवाई होने की बात से लोग इतना डर गए कि जू पहुंच कर बड़े दुखी मन से अपने प्रिय पालतू तोते जमा करवाने लगे या फिर पिंजरे से अपने प्रिय तोता को आजाद कर उससे हमेशा के लिए दूर हो गए.
तोता पालक अपने तोते से बिछड़ कर जरूर दुखी थे लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जिसे इस बैन से खुशी हुई थी वो हैं ग्रीन कमांडो के नाम से मशहूर वीरेंद्र सिंह जिन्होंने इस बैन के बाद पिंजरे में बंद तोता को छोड़ने की अनूठी पहल और तेज कर दी थी. लेकिन छत्तीसगढ़ वन विभाग ने केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मिली गाइडलाइन के बाद तोता पालकों पर लगाए बैन वाले आदेश को वापस ले लिया. अब नए आदेश से तोता पालकों में खुशी है और जिन लोगों ने अपने पालतू तोता जू में जमा करवा दिए थे वो अब उसे वापस लेने पहुंच रहे हैं.