युवक ने बनाया अनोखा ट्रैक्टर, जिसके लिए पेट्रोल-डीजल की जरूरत नहीं

पश्चिमी चम्पारण के बेतिया में एक युवक ने अनोखा आविष्कार किया है.

पश्चिमी चम्पारण के बेतिया में एक युवक ने अनोखा आविष्कार किया है.

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Jatin Madan
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मिनी ट्रैक्टर से खेत को जोता जा सकता है.( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

पश्चिमी चम्पारण के बेतिया में एक युवक ने अनोखा आविष्कार किया है. जहां युवक ने एक ऐसा मिनी ट्रैक्टर बनाया है जिसे चलाने के लिए किसी डीजल या पेट्रोल की जरूरत नहीं होगी. इन मिनी ट्रैक्टर से खेत को जोता जा सकता है और सामानों को भी ढोया जा सकता है. कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है. इस कहावत को बेतिया के एक युवक ने सच साबित कर दिया है. जहां पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान युवक ने एक ऐसे ट्रैक्टर का आविष्कार किया जिसे चलाने के लिए न डीजल की जरूरत है और न पेट्रोल की.

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तस्वीर में दिखने वाला ये ट्रैक्टर बेहद खास है. क्योंकि इसे चलाने के लिए आपको पैसे खर्च नहीं करने होंगे. अगर आप भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों से परेशान हो गए हैं तो ये ट्रैक्टर आपके लिए बेदह काम का है. क्योंकि इसे आप साइकिल की तरह चला सकते हैं. यानी किफायती के साथ ही ये ट्रैक्टर ईको-फ्रेंडली भी है. इस नायाब ट्रैक्टर को बनाने वाले हैं 28 साल के संजीत रंजन, धुसवा गांव के रहने वाले संजीत रंजन एक किसान के बेटे हैं. BSC की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो बच्चों को ट्यूशन देकर घर में मदद करते हैं. संजीत महंगाई के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से भी बहुत प्रभावित हैं. ऐसे में उन्होंने एक ऐसे ट्रैक्टर बनाने की तरकीब सोची जो किसानों के लिए भी किफायती हो और पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचाए.

संजीत ने मिनी ट्रैक्टर बनाने के लिए महज 20 हजार रूपए इकठ्ठा किए और कबाड़ से पुराने चार पहिये खरीदे. इसके साथ ही पुरानी साइकिल की हैंडल, पैडल और बाइक की चेन खरीदी और वेल्डिंग का काम करने वाले अपने दोस्त आकाश की मदद से ट्रैक्टर बना दिया. इस ट्रैक्टर को साइकिल की तरह पैडल से चला सकते हैं और खास बात ये कि छोटा दिखने वाला ये ट्रैक्टर सिर्फ एक घंटे में तीन कट्ठा जमीन जोत सकता है. इतना ही नहीं ट्रैक्टर से 500 किलो वजन की ढुलाई भी हो सकती है.

इस ईको-फ्रेंडली मिनी ट्रैक्टर का प्रदर्शन गोवा में होने वाले इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में भी हो चुका है. वहां भी इस नायाब तकनीक की बेहद सराहना की गई थी. हालांकि संजीत को सराहना तो मिली, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. संजीत ने जनप्रतिनिधियों से भी मदद संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें मायूसी हाथ लगी. ये मायूसी संजीत के हौसले को कम नहीं कर सकती है.

Source : News Nation Bureau

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