कहते हैं कि पेट में जब भूख की आग जलती है और जब रोजी रोटी के लाले पड़ जाते हैं तो इंसान कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाता है. कुछ ऐसा ही वाकया मोतिहारी (Motihari) के आठ मजदूरों के दल के साथ हुआ. यह मजदूर अपने पेट की भूख के लिए हरियाणा में काम करने गए थे. लेकिन कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी में कामधंधे बंद होने से इनके सामने भुखमरी की नौबत आ गई. इन मजदूरों के पास न राशन बचा और न पैसा तो मजबूरन इन्होंने हरियाणा से अपने गांव लौटने की ठान ली. 8 दिनों में हजारों किलोमीटर चलकर मोतिहारी पहुंचे.
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'मरता क्या, नहीं करता' कहावत का चरितार्थ कहते हुए बेचारे ये दिहाड़ी मजदूर साईकिल से ही हरियाणा से बुलंद हौंसले के साथ अपनी जन्मभूमि की ओर चल दिए. आठ दिनों में हजारों किलोमीटर साईकिल से सफर करते 8 मजदूरों का दल हरियाणा से मोतिहारी पहुंचा. मात्र आठ दिनों में साइकिल से अपने गृह जिले यानी मोतिहारी में पहुंच गए. ये अलग बात है कि कई प्रदेशों से बचते बचाते ये आठों लोग मोतिहारी तो आ गए, लेकिन मोतिहारी जिला प्रसाशन से नहीं बच सके और यहां वह अपने घर की बजाय मोतिहारी सदर अस्पताल पहुंच गए.
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इस बावत मोतिहारी बाईपास चेक पोस्ट पर तैनात दंडाधिकारी ने बताया कि आठ लोगों की टोली ने जब साइकिल से मोतिहारी सीमा में प्रवेश किया तो शंका के आधार पर उन्हें रोका गया. जांचोपरांत पता चला कि ये मजदूर हरियाणा में दिहाड़ी मजदूर का काम करते थे. वे कोरोना महामारी के कारण धंधा पानी बन्द होने और भुखमरी के कगार पर आने के कारण ये लोग साइकिल से ही मोतिहारी आ गए. जिनकी जांच के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया है, जहां इनका इलाज और जांच कार्य शुरू हो गया है.
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