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सदर अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी को डंडा लिए ढूंढती नजर आई महिला, जानिए पूरा मामला

समस्तीपुर जिला के सदर अस्पताल में दिव्यांगों का सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचे स्वजनों ने सीएस कार्यालय पर सर्टिफिकेट बनवाने के नाम पर ₹500 लिए, फिर भी सर्टिफिकेट नहीं बना कर देने का आरोप लगाते हुए स्वजनों ने हंगामा शुरू कर दिया.

Updated on: 24 Sep 2022, 01:56 PM

Samastipur:

समस्तीपुर जिला के सदर अस्पताल में दिव्यांगों का सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचे स्वजनों ने सीएस कार्यालय पर सर्टिफिकेट बनवाने के नाम पर ₹500 लिए, फिर भी सर्टिफिकेट नहीं बना कर देने का आरोप लगाते हुए स्वजनों ने हंगामा शुरू कर दिया. इस दौरान हंगामा कर रही एक महिला हाथ में डंडे लेकर रुपए लेने के बाद भी प्रमाण पत्र नहीं बनाने वाले कर्मचारी को खोज रही थी. वहीं हंगामा के दौरान सीएस कार्यालय के समीप अफरा-तफरी का माहौल बना रहा. मामला समस्तीपुर सदर अस्पताल का है, जहां सिंघिया थाना क्षेत्र के भड़ियार गांव की अमीना खातून काफी आक्रोशित हो गई. जिसके बाद हाथ में डंडे लेकर कहने लगी कि आने-जाने में ₹8000 खर्च हो गए. प्रमाण पत्र के लिए ₹500 भी लिया, आज वह नहीं मिल रहा है.

वहीं रोसरा मुरादपुर की रूणा देवी ने बताया कि उसकी बच्ची के दोनों हाथ नहीं है, जांच भी हो गई लेकिन अब तक प्रमाण पत्र नहीं मिला. पिछले दो महीनों से लौट कर जा रहे हैं. हंगामा की सूचना पर एक कर्मी ने महिलाओं को समझा-बुझाकर शांत कराया और सभी को प्रमाण पत्र दिलाने का आश्वासन दिया, जिसके बाद महिला शांत हुई और सीएस कार्यालय परिसर से बाहर निकली. बता दें कि सदर अस्पताल में प्रत्येक सोमवार को दिव्यांग जांच शिविर आयोजित की जाती है, लेकिन प्रमाण पत्र बाद में दिया जाता है. प्रमाण पत्र तैयार करने में समय लगने के कारण ब्रिटेन का दिन शुक्रवार को निर्धारित किया गया है, लेकिन दिव्यांगों का बताना है कि प्रमाण पत्र समय से नहीं दिया जाता है और इसके लिए पैसा भी लिया जाता है.

ऐसे में सवाल है कि बिहार के स्वास्थ्य विभाग के उन पदाधिकारियों से जिसके अंदर में यह सब कुछ होता रहता है और बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से की क्या इसी तरह बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था बिहार में बहाल की जाएगी.