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Bihar Politics: बीजेपी के लिए इतने क्यों खास हैं नीतीश कुमार, कई बार छोड़ चुके हैं दामन

ये पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार पाला बदलेंगे. इससे पहले वो पांच बार पाला बदल चुके हैं. अगर वो सीएम पद से इस्तीफा देते हैं तो ये छठी बार होगा.

Updated on: 27 Jan 2024, 07:39 PM

नई दिल्ली:

Bihar Politics: बिहार में जैसे-जैसे ठंड कम हो रही है वैसे ही यहां राजनीति गर्म हो रही है. यहां एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है. नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सरकार बनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं. आरजेडी और जदयू की सरकार जो पिछले 3 साल से चल रही थी वो अब टूटने की कगार पर है. हलांकि, आरजेडी नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का कहना है कि वो सरकार इतनी आसानी से जाने नहीं देंगे. वहीं, जदयू और बीजेपी लगातार बैठकें कर रही हैं. पटना से लेकर दिल्ली तक बीजेपी की बैठक जारी है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा का रविवार को बिहार दौरा भी हो सकता है. बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी के दोनों दिग्गज नेता शामिल हो सकते हैं. हालांकि, अभी इस बारे में कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है. सभी की नजरें नीतीश कुमार के इस्तीफे पर है. पहले खबर आई थी कि नीतीश कुमार शनिवार की शाम अपना इस्तीफा सौंप देंगे, लेकिन जैसे-जैसे समय निकल रहा है..वैसे-वैसे पटना में सियासी पारा भी गर्म हो रहा है. अब खबर आ रही है कि नीतीश कुमार कल यानी रविवार को अपना इस्तीफा सौंपेंगे. 

ये पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार पाला बदलेंगे. इससे पहले वो पांच बार पाला बदल चुके हैं. अगर वो सीएम पद से इस्तीफा देते हैं तो ये छठी बार होगा जब वो पार्टी बदलकर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. नीतीश कुमार बीजेपी का दामन कई छोड़ चुके हैं. लेकिन ऐसी क्या वजह है कि बीजेपी एक बार फिर नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार है. आखिर नीतीश कुमार के पास कौन सा तुरुप का इक्का है कि बीजेपी पुरानी बातों को भुलकर साथ आने को तैयार है. 

जदयू और आरजेडी का जोड़

इस साल के मध्य में आम सभा चुनाव होने वाला है. ये चुनाव दिल्ली की सीट के लिए बेहद जरूरी है. इसलिए बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इस संबंध में कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता है. बिहार की राजनीति देखें तो जदयू और आरजेडी दोनों ही बड़ी पार्टी हैं. इन दोनों पार्टियों के साथ रहने से बीजेपी की चिंता की लकीरें बढ़ जाती. ऐसे में बीजेपी चाहती है कि नीतीश कुमार उनके साथ बने रहें. 

2019 का प्रदर्शन दोहराना

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. बात 2019 के आम चुनाव की करें तो यहां एनडीए ने 40 में से 39 सीटें जीती थी. इसमें बीजेपी ने 17 सीटें तो जदयू ने 16 सीटें वहीं लोकजन शक्ति पार्टी ने भी 6 सीटों पर कब्जा किया था. वहीं वोट प्रतिशत की बात करें तो एनडीए को 54 फीसदी जिसमें जदयू के 22 थे. इसके अलावा महागठबंधन को 31 प्रतिशत वोट मिले थे.  इसी को देखते हुए बीजेपी उत्साह में है और लोकसभा चुनाव में बिहार की सभी सीटें जीतनी चाहती है. वो एक बार फिर 2019 के नतीजों को दोहरना चाहती है इसलिए नीतीश कुमार का साथ चाहती है. 

साफ छवि

एक और लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं लेकिन नीतीश कुमार की छवि साफ है. उन पर अभी तक किसी तरह के आरोप नहीं लगे हैं. यही साफ छवि उन्हें लोगों के बीच खास बनाती है. इसके अलावा किसी भी पार्टी के पास ऐसा चेहरा नहीं है जो नीतीश कुमार के चेहरे को टक्कर दे पाए. इसलिए बीजेपी नीतीश कुमार का साथ चाहती है.