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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार Photograph: (ANI)
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने भारी जीत दर्ज करते हुए रिकॉर्ड तोड़ बहुमत हासिल किया है. इस ऐतिहासिक जीत के केंद्र में जिस नेता का योगदान सबसे निर्णायक माना जा रहा है, वह हैं नीतीश कुमार. चुनावी नतीजों ने साफ कर दिया कि महिलाओं पर आधारित उनकी नीतियां और जमीनी स्तर पर किए गए सुधार अभी भी बिहार की राजनीति का सबसे मजबूत स्तंभ हैं.
नीतीश कुमार की फैन क्यों हुई महिलाएं?
विशेषज्ञ मानते हैं कि नीतीश कुमार का महिलाओं को सिर्फ वोट बैंक नहीं, बल्कि निर्णय लेने वाली शक्ति के रूप में तैयार करने का प्रयास इस बार भी निर्णायक साबित हुआ. 2006 में पंचायत और नगर निकायों में 50% आरक्षण देना उस समय साहसिक कदम था, लेकिन उसी फैसले ने आज लाखों महिला नेतृत्वकर्ताओं की मजबूत फौज खड़ी कर दी. हर गांव में मुखिया और वार्ड सदस्य के रूप में महिलाएं जो सत्ता में आईं, वही एनडीए की राजनीतिक पूंजी बनीं.
बच्चियों को पहुंचाया स्कूल
इसके साथ ही साइकिल योजना का असर भी फिर दिखाई दिया. वे बच्चियां जो वर्षों पहले साइकिल लेकर स्कूल पहुंचीं, आज उसी सोच की वजह से अपने परिवारों में प्रभावशाली भूमिका निभा रही हैं. युवतियों और महिलाओं के बीच यह भावना मजबूत रही कि शिक्षा और अवसरों की शुरुआत नीतीश के दौर में ही हुई.
महिलाओं को दिया 35 परसेंट आरक्षण
सुरक्षा के क्षेत्र में उनका बड़ा कदम पुलिस में 35% आरक्षण, जिसने बिहार पुलिस में महिलाओं की भागीदारी को 37% से अधिक तक पहुंचा दिया. महिला मतदाताओं के लिए आत्मविश्वास का बड़ा कारण बना. यह आंकड़ा देशभर में सबसे अधिक है. गांवों की गलियों से लेकर शहरों के थानों तक, महिला पुलिस की मौजूदगी ने सुरक्षा का माहौल मजबूत किया, और इसी भरोसे ने मतपेटी में नीतीश कुमार के पक्ष में हमेशा के लिए कर दी.
महिलाओं को दिए दस हजार रुपये
आर्थिक मोर्चे पर जीविका समूह की महिलाओं की अहम भूमिका ने भी नीतीश कुमार के समर्थन को बढ़ाया. लाखों महिलाएं आय बढ़ाने वाले कामों से जुड़ीं, बैंकिंग से लेकर डिजिटल भुगतान तक में दक्ष हुईं और अपने परिवारों की आर्थिक रीढ़ बनीं. नीतीश कुमार ठीक चुनाव से पहले महिलाओं को दस हजार रुपये देकर आर्थिक मदद की. ये महिलाए आज ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सबसे मजबूत इकाई हैं, और वोटिंग व्यवस्था में उनकी एकजुटता निर्णायक मानी जाती है.
एनडीए की लैंडस्लाइड विक्ट्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार की महिलाएं विकास, सुरक्षा और अपनी पहचान को लेकर किए गए कामों को अब भी सबसे ऊपर रखती हैं. 2025 का यह जनादेश सिर्फ एनडीए की जीत नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण मॉडल की भी मजबूत पुष्टि है.
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