logo-image
लोकसभा चुनाव

Navratri 2023: सोमेश्वर धाम में मां काली ने क्यों की थी तपस्या? पुराणों में है इस जगह का जिक्र

बगहा में प्रकृति की गोद में बैठी मां काली के दर्शन के लिए सैंकड़ों श्रद्धालु हर दिन 20 किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं.

Updated on: 27 Mar 2023, 05:46 PM

highlights

  • प्रकृति की गोद में मां काली 
  • VTR का जंगल मां के जयघोष से गूंजा
  • मां काली की भक्ति में डूबे श्रद्धालु
  • सोमेश्वर धाम में पहुंच रहे सैंकड़ों श्रद्धालु
  • पुराणों में सोमेश्वर धाम का जिक्र
  • सोमेश्वर धाम में मां काली ने क्यों की थी तपस्या?

Bagaha:

बगहा में प्रकृति की गोद में बैठी मां काली के दर्शन के लिए सैंकड़ों श्रद्धालु हर दिन 20 किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में स्थित सोमेश्वर धाम नवरात्रि में भक्ति जय घोष से गुलजार है. पौराणिक इतिहास रखने वाला माता का ये दरबार शक्ति की श्रद्धा का केंद्र माना जाता है. बगहा में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने जंगल इन दिनों माता के भक्ति जयघोष से गूंज रहे हैं. भक्तों का सैलाब घने जंगलों को पार कर सोमेश्वर धाम की ओर बढ़ रहा है. नवरात्रि में मां काली के दर्शन के लिए व्याकुल भक्त 20 किमी की दूरी पैदल चलकर तय करते हैं. तभी जाकर मां काली के दर्शन हो पाते हैं.

मां काली की भक्ति में डूबे श्रद्धालु

पूरे साल में सिर्फ चैत्र नवरात्र के 9 दिन ही भक्त यहां पहुंच पाते हैं. सोमेश्वर धाम में मां के दर्शन के लिए सिर्फ बिहार या उत्तरप्रदेश ही नहीं बल्कि नेपाल से भी बड़ी संख्या नें श्रद्धालु आते हैं. क्योंकि पौराणिक इतिहास रखने वाला माता का ये दरबार शक्ति की श्रद्धा का केंद्र है. श्रद्धालुओं की मानें तो भक्तों के पहुंचने से पहले ही मां काली की पूजा हो चुकी होती है. यानी कोई दैवीय शक्ति भक्तों से पहले ही मंदिर में आकर मां की पूजा-अर्चना कर जाती है. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से आकर यहां पूजा-पाठ करे उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.

पुराणों में सोमेश्वर धाम का जिक्र

बगहा के सोमेश्वर धाम का जिक्र पुराणों में भी मिलता है. कहा जाता है कि मां काली ने अपने पाप को खत्म करने के लिए यहां तपस्या की थी. यहीं मां काली ने कुपित होकर विकराल रूप धारण किया था. अपने विक्राल रूप में माता सुर और असुर सभी का संघार कर रही थीं. जिसके बाद भगवान शिव को माता के रास्ते में लेटना पड़ा था, जिससे की वो माता को शांत कर सकें. उसी समय मां के पैर भगवान शिव पर पड़ गए थे और मां ने लज्जित होकर जीभ बाहर निकाल दी थी. जिसके बाद मां को पाप करने का अहसास हुआ और उन्होंने इसी पाप को मिटाने के लिए तपस्या की थी.

यह भी पढ़ें : हॉकी चैंपियनशिप 2023: झारखंड की टीम ने लहराया परचम, CM ने दी बधाई

VTR का जंगल मां के जयघोष से गूंजा

यही वजह है कि सोमेश्वर धाम की प्रतिमा में भी माता का जीभ बाहर निकला हुआ है. यहां हर साल सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. 20 किलोमीटर की इस यात्रा को तय करने के दौरान भक्तों को प्रकृति के नजारों की भी खूबसूरती देखने को मिलती है. बगहा से लोगों को यात्रा के लिए रामनगर आना होता है. 

सोमेश्वर धाम की लोकप्रियता को देख इसे माता वैष्णों देवी के तर्ज पर विकसित करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए वाल्मीकिनगर सांसद सुनील कुमार ने अधिकारियों के साथ इसका दौर किया. सोमेश्वर धाम को पर्यटन स्थल के साथ-साथ धर्मस्थल के तौर पर भी विकसित करने के लिए राज्य और केन्द्र सरकार से लगातार मांग पर इस क्षेत्र का सर्वे कराया जा रहा है और मंदिर तक ज्यादा से ज्यादा श्रद्धाल पहुंच पाए इसके लिए रोपवे लगाने की भी तैयारी की जा रही है.

पौराणिक इतिहास वाला सोमेश्वर धाम आज लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है. उम्मीद है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों की पहल पर इस क्षेत्र का विकास होगा ताकि आगे जाकर इसे बड़े धार्मिक स्थल के तौर पर पहचान मिल सके.

रिपोर्ट : राकेश कुमार सोनी