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Who is Deepak Prakash: पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में गुरुवार का दिन बिहार की राजनीति के लिए खास रहा. नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उनके साथ 26 नए मंत्रियों ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ लेकर मंत्रिमंडल का गठन पूरा किया. इस बार के मंत्रिमंडल में कई नए चेहरे शामिल हुए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा चर्चा जिस व्यक्ति की हो रही है, वह हैं दीपक प्रकाश, जो इस चुनाव में मैदान में भी नहीं उतरे थे.
कौन हैं दीपक प्रकाश?
दीपक प्रकाश का नाम भले ही आम लोगों के लिए नया हो लेकिन उनके पिता बिहार के एक बड़े और प्रभावशाली नेता उपेंद्र कुशवाहा हैं. कुशवाहा लंबे समय से अपने मजबूत ‘लव-कुश’ समीकरण के लिए जाने जाते हैं. 'लव-कुश' समीकरण दरअसल ओबीसी कुर्मी और कोइरी (कुशवाहा) समुदायों का मिलाजुला राजनीतिक आधार है, जिसकी बिहार में बड़ी संख्या और मजबूत पकड़ है. इसी आधार की वजह से उपेंद्र कुशवाहा हमेशा राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं.
चुनाव न लड़कर भी कैसे बने मंत्री?
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और प्रभावी प्रदर्शन करते हुए छह में से चार सीटों पर जीत हासिल की. इसके बावजूद कुशवाहा ने अपने किसी MLA की बजाय अपने बेटे दीपक प्रकाश को कैबिनेट में जगह दिलाई.
दीपक इस समय किसी सदन के सदस्य नहीं हैं, इसलिए उन्हें अगले छह महीने के भीतर विधान परिषद या विधानसभा में चुना जाना होगा. यह कदम साफ दर्शाता है कि उपेंद्र कुशवाहा अपने बेटे को बिहार की राजनीति में स्थापित करने के लिए रणनीतिक रास्ता अपना रहे हैं.
RLM की चुनावी जीत
चार विधायकों के साथ RLM ने अपनी पहली भागीदारी में अच्छी पकड़ दिखाई. बाजपट्टी से रामेश्वर कुमार महतो 3395 वोटों से विजयी रहे. वहीं मधुबनी से माधव आनंद को 20,552 वोटों से जीत मिली. सासाराम में स्नेहलता कुशवाहा, यानी उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी ने 25 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की और दिनारा के आलो कुमार सिंह ने 10,834 वोटों से जीत हासिल की. इन जीतों ने पार्टी को एनडीए खेमे में महत्वपूर्ण स्थान दिलाया और कैबिनेट में प्रतिनिधित्व का रास्ता खोला.
कुशवाहा परिवार की मजबूत पकड़
उपेंद्र कुशवाहा ने 2023 में राष्ट्रीय लोक मोर्चा का गठन किया था. इससे पहले वे 2013 में बनाई रालोसपा को 2021 में जेडीयू में विलय करा चुके थे. अब, नई पार्टी के साथ फिर सत्ता में लौटते हुए उन्होंने अपने परिवार की राजनीतिक उपस्थिति और मजबूत कर दी है.
नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल में दीपक प्रकाश की नियुक्ति सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि बिहार की जातिगत और पारिवारिक राजनीति की नई दिशा का संकेत है. यह साफ है कि उपेंद्र कुशवाहा अपने सामाजिक आधार और राजनीतिक अनुभव का उपयोग करते हुए परिवार को सत्ता के केंद्र में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं और नीतीश सरकार में यह रणनीति सफल भी होती दिख रही है.
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