बिहार में यह कैसी 'शराबबंदी', सरकारी दफ्तर में मिली शराब

बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद भी शराब तस्करी थमने का नाम ही नहीं ले रही है. मुजफ्फरपुर के एक सरकारी दफ्तर के परिसर से शराब की 135 बोतलें बरामद की गई है.

बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद भी शराब तस्करी थमने का नाम ही नहीं ले रही है. मुजफ्फरपुर के एक सरकारी दफ्तर के परिसर से शराब की 135 बोतलें बरामद की गई है.

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Vineeta Kumari
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बिहार में मार्च, 2016 से शराबबंदी है. बावजूद इसके प्रदेश में कभी शराब तस्करी तो कभी शराब पार्टी करने की खबरें सामने आती रहती है. उत्पाद विभाग शराब तस्करी को रोकने के लिए हमेशा छापेमारी करती रहती है. इस बीच मुजफ्फरपुर के पारू इलाके में एक सरकारी दफ्तर के परिसर से शराब की एक-दो नहीं बल्कि 135 बोतलें बरामद की गई है.

सरकारी परिसर में मिली शराब की सैकड़ों बोतलें

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वहीं, इस मामले में पुलिस ने चिंतामनपुर पंचायत की महिला मुखिया के पति और अन्य 6 लोगों को गिरफ्तार किया है. मामले में मद्य, निषेध एवं उत्पाद शुल्क विभाग के निरीक्षक ने कहा कि हमें इसकी गुप्त सूचना मिली थी. जिसके आधार पर हमने छापेमारी की और सरकारी भवन के परिसर से 135 बोलतें बरामद की गई. इन बोतलों को बोरियों में छिपाकर रखा गया था. सभी बोतलें जब्त कर ली गई है. 

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पुलिस को मिली थी गुप्त सूचना

कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा में जेदीयू नेता शराब पार्टी करते पकड़े गए थे. जिसके बाद जेडीयू नेता सीताराम प्रसाद समेत 14 लोगों को बिहार पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पुलिस को सूचना मिली थी कि सीताराम प्रसाद के घर शराब पार्टी हो रही है और सभी जुआ खेल रहे हैं. सूचना के आधार पर पुलिस ने सीताराम प्रसाद के घर पर छापेमारी की और इस छापेमारी में विदेशी शराब समेत नकद रुपये भी बरामद किए गए. 

2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी

जानकारी के अनुसार, इस मकान में अकसर शराब पार्टी की जाती थी. इस घटना के बाद विपक्ष ने राज्य सरकार पर निशाना साधा और शराबबंदी पर भी सवाल खड़े किए. वहीं, इस पर कार्रवाई करते हुए जेडीयू ने सीताराम प्रसाद को पार्टी से बर्खास्त कर दिया. इसके लिए एक लेटर भी जारी किया गया. प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने जेडीयू अध्यक्ष सीताराम प्रसाद के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. बिहार में 2016 से पूर्णरूप से शराबबंदी है. पिछले 8 सालों में शराबबंदी कानून में कई बार संशोधन भी किए जा चुके हैं.

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