बिहार के सीएम नीतीश कुमार दिल्ली आए और पूर्व पीएम अटल जी की समाधि पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी, लेकिन अटल जी की समाधि पर जाकर उनका श्रद्धांजलि अर्पित करना कई कयासों को जन्म दे गया. खासकर तब, जब अटल बिहारी वाजपेयी की पार्टी बीजेपी के नीतीश अब कट्टर विरोधी हैं. विपक्ष का कोई नेता पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को भले न याद करे, पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार उन्हें कभी नहीं भूलते. आज भी वे उनका गुणगान ही नहीं करते बल्कि ये कहें कि अटल जी बीजेपी नेताओं से कहीं अधिक नीतीश के जेहन में रहते. शायद यही वजह रही कि वाजपेयी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने वे दिल्ली पहुंच गए.
नीतीश को बीजेपी से नहीं है परेशानी?
अटल जी की समाधि पर जाकर सीएम नीतीश का श्रद्धांजलि अर्पित करना कई रहस्यों को जन्म देता है. खासकर तब, जब अटल बिहारी वाजपेयी की पार्टी बीजेपी के नीतीश अब कट्टर विरोधी हो गए हैं. सच तो ये है कि नीतीश को बीजेपी से नहीं, बल्कि उसके दो नेताओं- पीएम मोदी और अमित शाह से परेशानी है. अक्सर उनकी जुबान से बीजेपी और अटल जी की चर्चा अनायास होती रहती है. बीजेपी की भी कमोबेश यही स्थिति है. बीजेपी को भी नीतीश कुमार का मोह छूट नहीं रहा है. ऊपर से चाहे कितना भी हमला करे नीतीश को बीजेपी भूल नहीं पा रही हैं.
नीतीश के मन में अटल
नीतीश कुमार को अटल जी की सरकार में पहली बार केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला. नीतीश वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री और रेल मंत्री बनाए गए. अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर साल 2000 में बीजेपी ने नीतीश कुमार को समर्थन दिया. बीजेपी के सहयोग से 3 मार्च 2000 को नीतीश पहली बार बिहार के सीएम बने. हालांकि वे सिर्फ सात दिन ही सीएम रहे. अटल जी के न रहने पर भी नीतीश कुमार के मन से उनकी स्मृति नहीं गई. उनके मन से न अटल बिहारी वाजपेयी बाहर हो पाए और न बीजेपी. किसी न किसी बहाने दोनों उनकी जेहन में बने रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- दिल्ली दौरे के पीछे क्या है नीतीश कुमार का मकसद?
- बार-बार क्यों ले रहे अटल जी का नाम?
- नीतीश को बीजेपी से नहीं है परेशानी?
Source : News State Bihar Jharkhand