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गांव में नहर तो है लेकिन उसमें पानी नहीं आता.( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)
कल्पता कीजिए कि आप किसी होटल में गए. वहां आपने कुछ नहीं खाया, लेकिन होटल मालिक ने आपके हाथों में बिल थमा दिया. जाहिर है आप इसका विरोध करेंगे. क्योंकि अगर आपने कुछ सेवा ली ही नहीं तो उसका भुगतान क्यों करेंगे. कुछ ऐसा ही हो रहा है गोपालगंज के किसानों के साथ, जिनके गांव के नहर में पानी तो नहीं है लेकिन वो पटवन टैक्स देने को मजबूर हैं. हैरान करने वाला ये मामला कुचायकोट प्रखंड के मतेया खास पंचायत का है, जहां गांव में नहर तो है लेकिन उसमें पानी नहीं आता. बावजूद ग्रामीणों को पटवन टैक्स चुकाना पड़ता है.
इस परेशानी से तंग ग्रामीणों ने पंचायत समिति सदस्य सीमा यादव से गुहार लगाई तो उन्होंने हाईकोर्ट में पीआईएल डाली. हाईकोर्ट के आदेश पर सिंचाई नहर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने जवाब तलब किया. जिसमें दावा किया गया कि विभाग की ओर से नहर की सफाई लगातार होती है और इसमें लगातार पानी भी आता है, लेकिन ग्रामीणों का कुछ और ही कहना है. उनकी मानें तो बीते 40 सालों से नहर में पानी ही नहीं आया.
जब ये मामला मीडिया में आया तो गंडक विभाग के कार्यपालक अभियंता से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कैमरे पर आने से साफ इनकार कर दिया. वहीं, दूसरी ओर पानी न होने से ग्रामीण बेहद परेशान है, लेकिन शासन-प्रशासन के अधिकारी तमाशबीन बन बैठे हैं. ग्रामीणों की मांग है कि अधिकारी मामले पर संज्ञान ले और नहर की सफाई हो ताकि उन्हें खेतों के लिए पानी मिल सके.
सालों से ग्रामीण सिंचाई के पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. उनसे टैक्स तो वसूला जा रहा है, लेकिन नहर से पानी नहीं मिलता. ऐसे में अब देखना होगा कि कब प्रशासनिक अधिकारी अपनी कुंभकर्ण की नींद से जागते हैं और गांव वालों के साथ न्याय करते हैं.
रिपोर्ट : शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
Source : News Nation Bureau