बिहार में 21 साल बाद होगी मतदाता सूची की जांच,  चुनाव आयोग ने शुरू की तैयारियां

त्रों के मुताबिक, इस बार मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह से तकनीक-सक्षम और पारदर्शी होगी. निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी द्वारा जिन दस्तावेजों के आधार पर मतदाता के नाम को सूची में शामिल किया जाएगा.

त्रों के मुताबिक, इस बार मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह से तकनीक-सक्षम और पारदर्शी होगी. निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी द्वारा जिन दस्तावेजों के आधार पर मतदाता के नाम को सूची में शामिल किया जाएगा.

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Mohit Dubey
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Election Commission

Election Commission Photograph: (सोशल मीडिया)

21 सालों के बाद बिहार में फिर से मतदाता सूची का विशेष जांच  (Special Intensive Revision - SIR) शुरू हो रहा है. चुनाव आयोग ने इस संबंध में आधिकारिक निर्देश जारी कर दिए हैं. इस पुनरीक्षण की प्रक्रिया में घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन किया जाएगा और सुनिश्चित किया जाएगा कि एक भी पात्र मतदाता सूची से वंचित न रहे.

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पहली बार इतने व्यापक स्तर पर पारदर्शिता की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, इस बार मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह से तकनीक-सक्षम और पारदर्शी होगी. निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी द्वारा जिन दस्तावेजों के आधार पर मतदाता के नाम को सूची में शामिल किया जाएगा. उन्हें अब ECINET पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा - हालांकि ये दस्तावेज सिर्फ अधिकृत अधिकारियों के लिए ही दृश्य होंगे, जिससे गोपनीयता बनी रहे.

गहन पुनरीक्षण क्यों ?

बिहार में अंतिम बार ये प्रक्रिया वर्ष 2003 में हुई थी. अब जनसांख्यिकीय बदलाव, तेजी से हो रहा शहरीकरण, युवाओं की नई पात्रता, प्रवास और मृत्यु की रिपोर्टिंग में कमी जैसे कारणों से एक सटीक और साफ़-सुथरी मतदाता सूची की आवश्यकता महसूस की गई. विदेशी अवैध नागरिकों के नाम जोड़ने की आशंका को भी हटाने का प्रयास किया जाएगा.

BLO करेंगे घर-घर सर्वे

बूथ लेवल अधिकारी (BLO) पूरे राज्य में घर-घर जाकर पात्रता का सत्यापन करेंगे. इस बार विशेष निर्देश दिए गए हैं कि वृद्ध, बीमार, दिव्यांग, गरीब और हाशिये पर खड़े वर्गों को विशेष सहायता दी जाए और उन्हें कतई परेशान न किया जाए. जरूरत पड़ने पर स्वयंसेवकों की नियुक्ति भी की जाएगी.

राजनीतिक दलों को बुलाया जाएगा मैदान में

चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी के बिना अधूरा मानता है. इसलिए सभी पार्टियों से आग्रह किया गया है कि वे अपने बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) की नियुक्ति करें ताकि सूची में नाम जोड़ने/हटाने को लेकर विवाद प्रारंभिक स्तर पर ही सुलझाए जा सकें.

कानून का पूरी तरह पालन होगा

आर्टिकल 326 और RPA एक्ट 1950 की धाराओं 16, 23 और 24 के तहत प्रक्रिया पूरी तरह से संवैधानिक और कानूनी मानकों के अनुरूप होगी. किसी भी दावे या आपत्ति की स्थिति में सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी जांच करेंगे. अगर मतदाता ERO के निर्णय से असहमत हो, तो जिला मजिस्ट्रेट या मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील कर सकेगा.

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