बेगूसराय में ग्रामीणों को सड़क का इंतजार, डीएम से लेकर सीएम तक से लगाई गुहार
बेगूसराय में एक गांव आज भी पक्की सड़क के लिए तरस रहा है. ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, प्रदर्शन भी किया, लेकिन परेशानी जस के तस बनी हुई है.
highlights
.ग्रामीणों को है सड़क का इंतजार
.पगडंडियों के सहारे होती है आवाजाही
.डीएम से लेकर सीएम तक से लगाई गुहार
.आश्वासन के बाद भी नहीं हुआ सड़क निर्माण
Begusarai:
बेगूसराय में एक गांव आज भी पक्की सड़क के लिए तरस रहा है. ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, प्रदर्शन भी किया, लेकिन परेशानी जस के तस बनी हुई है. आजादी के 75 सालों के बाद भी बेगूसराय का एक गांव विकास की राह देख रहा है. गांव में सड़क ही नहीं है तो विकास पहुंचे कैसे? शासन-प्रशासन भी आंखे मूंद ग्रामीणों को उनके हाल पर छोड़ चुका है. अब जैसे तैसे पगडंडियों के सहारे ग्रामीणों का जीवन चल रहा है.
जिले के धोबिया टोला गांव में दशकों से ग्रामीणों को पक्की सड़क का इंतजार है. 2000 की आबादी वाला ये गांव आज भी सड़क की लिए तरस रहा है. आलम ये है कि शादी-ब्याह जैसे शुभ कार्य में भी सड़क ना होने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शादी के दौरान तो बारात गांव के बाहर सड़क पर ही रह जाती है. मजबूरन बारातियों को पैदल दरवाजे तक जाना होता है. इतना ही नहीं विदाई के समय दूल्हे और दुल्हन को कभी बाइक पर तो कभी ई रिक्शा के सहारे घरों से मुख्य सड़क तक लाया जाता है. जिसके बाद कार से विदाई हो पाती है.
ऐसा नहीं है कि गांव के लोगों ने सड़क निर्माण के लिए कभी कोशिश नहीं की. हर चुनाव में जनप्रतिनिधि आश्वासन देते हैं, लेकिन आश्वासन पर कभी सुनवाई नहीं होती. स्थानीय लोगों ने जिला मुख्यालय पर दर्जनों बार विरोध प्रदर्शन भी किया है. हर बार प्रदर्शन को शांत करने के लिए आश्वासन का लॉलीपॉप दे दिया जाता है, लेकिन समस्या जस के तस बनी रहती है. मजबूरन पगडंडियों के सहारे लोग आवाजाही करते हैं और अगर किसी ने खेतों को पटा दिया तो पगडंडियों पर चलना भी मुश्किल हो जाता है.
गांव के लोग दशकों से सड़क के लिए परेशान हैं. डीएम से लेकर सीएम तक को आवेदन दिया गया है, लेकिन आज तक ग्रामीणों की समस्या का समाधान नहीं हो सका है. एक तरफ तो केंद्र हो या राज्य सरकार सभी गांवों और कसबों को सड़कों से जोड़कर विकास के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन दूसरी तरफ सालों से मांग करने के बाद भी ग्रामीणों को एक पक्की सड़क नसीब नहीं होती. ऐसे में अब देखना होगा कि ग्रामीणों की गुहार सरकार तक पहुंचती भी है या नहीं.
रिपोर्ट : कन्हैया कुमार झा
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