logo-image

नीतीश साथ आएंगे उपेंद्र कुशवाहा, 14 मार्च को JDU में RLSP का विलय

14 मार्च को पटना में रालोसपा का जदयू में विलय होगा, जहां इस मौके पर खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूद रह सकते हैं.

Updated on: 12 Mar 2021, 12:12 PM

highlights

  • 14 मार्च को हो सकती है जदयू-आरएलएसपी के विलय की घोषणा
  • विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी आरएलएसपी
  • बिहार की राजनीति पर इस विलय का पड़ेगा व्यापक प्रभाव

पटना:

बिहार (Bihar) में भले ही विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं लेकिन चुनावी बिसात पर चालें चलना अभी भी जारी है. इस कड़ी में एआईएमआईएम समेत दूसरे दलों के विधायकों से भेंट करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का कुनबा और मजबूत होने वाला है. उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जनता दल यूनाइटेड के साथ विलय का मंच तैयार है और 14 मार्च को इसका आधिकारिक ऐलान हो सकता है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक 14 मार्च को पटना में रालोसपा का जदयू में विलय होगा, जहां इस मौके पर खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूद रह सकते हैं. माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा 2020 में मिली हार के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने विलय का फैसला लिया है.

13-14 मार्च को हो सकता है औपचारिक ऐलान
आरएलएसपी के एक वरिष्ठ नेता ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, 'रालोसपा ने जदयू के साथ विलय पर पार्टी कार्यकर्ताओं से मंजूरी लेने के लिए 13-14 मार्च को पटना में दो दिवसीय बैठक बुलाई है.'  उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में पार्टी 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में एक भी सीट हासिल करने में विफल रही. उपेंद्र कुशवाहा के एक करीबी सहयोगी और आरएलएसपी के महासचिव माधव आनंद के एएनआई से बात करते हुए कहा कि 14 मार्च तक प्रतीक्षा करें और उसके बाद आप पार्टी के निर्णय को जान पाएंगे. गौरतलब है कि हालिया विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 243 सीटों वाली मजबूत बिहार विधानसभा में 125 सीटों का बहुमत हासिल किया, जिसमें से बीजेपी ने 74 सीटों पर, जदयू ने 43 सीटों पर जबकि आठ सीटों पर एनडीए के दो अन्य दलों ने जीत हासिल की. 

यह भी पढ़ेंः QUAD 15 साल पुरानी गलती नहीं दोहराएगा, चीन को मिलेगा कड़ा संदेश

बिहार की राजनीति पर व्यापक प्रभाव
जदयू के सूत्रों को भी उम्मीद है कि होने वाले इस संभावित विलय का बिहार की राजनीति पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. जदयू के एक सीनयिर नेता ने कहा कि रालोसपा का जदयू के साथ विलय की योजना को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है और 14 मार्च को पटना में घोषित किए जाने की उम्मीद है. हमें उम्मीद है कि यह विलय जदयू को मजबूत करेगा और राज्य की राजनीति पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. माना जा रहा है कि यह विलय राज्य में अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए जदयू की योजनाओं का हिस्सा है. जदयू के पास केवल 43 विधायक हैं और एनडीए सरकार में जूनियर पार्टनर है. 74 विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी 2020 के विधानसभा चुनावों में बड़े भाई के रूप में उभरी थी. 

यह भी पढ़ेंः  बैंक जाने से पहले पढ़ लीजिए ये खबर, 15-16 मार्च को है बैंकों की हड़ताल

आरएलएसपी ने नहीं जीती थी एक भी सीट
हाल ही में बिहार विधानसभा चुनावों में आरएलएसपी ने एक अलग गठबंधन के हिस्से के रूप में चुनाव लड़ा था, जिसमें असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) और मायावती की बहुजन समाज पार्टी शामिल थी. उपेंद्रु कुशवाहा ने खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया, मगर रालोसपा एक भी सीट जीत नहीं पाई. नवंबर 2020 में नीतीश कुमार ने लगातार चौथे कार्यकाल के लिए बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.