कहते हैं जगत जननी मां जगदंबा के अनंत रूप हैं. इनके अनगिनत स्वरूपों की पूजा होती है. अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से पूजा का विधान है. बिहार के कई जिलों में परंपरागत तरीके से मां की गहबर पूजा होती है. कहीं भगवती स्थान में तो कहीं जगदंबा स्थान में, गहबर पूजा की पुरानी परंपरा है. एक तरफ जहां पाली सांसद सबरी पंडालों में मां दुर्गा के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमर रही हैं. वहीं दूसरी तरफ आज भी पारंपरिक तरीके से महिलाएं अपनी मनौती पूरी होने पर पूरी चना और बताशा से माता रानी का दरबार भरती हैं. मनौती पूरी होने पर गाजे-बाजे के साथ सज धज कर महिलाएं झुंड में जगदंबा स्थान निकलती है और वहां मां भगवती के नौ स्वरूप के बने पिंडी की विधिवत पूजा अर्चना करती हैं.
मां के नौ स्वरूपों के पिंडी पूजन को ग्रामीण भाषा में गहबर पूजन कहते हैं. इनके साथ ही माता रानी के द्वारपाल भैरव की भी पूजा अर्चना की जाती है. वैशाली के परशुरामपुर गांव में भी महिलाओं ने गहबर पूजा किया, जहां स्थित जगदम्बा माई स्थान महिलाओं की आस्था का बड़ा केंद्र बना है. अष्टमी के दिन यहां परंपरा के साथ आस्था का अनोखा संगम देखने को मिलता है. माना जाता है कि पिंडी के रूप में स्थापित जगदम्बा माई से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है और जिनकी भी मुरादे पूरी होती है, वह पारंपरिक गाजे बाजे के साथ पहुंच कर स्थान पर पूरी चना और बताशा का प्रसाद चढ़ाती हैं.
बताया जाता है कि यह स्थान 200 साल से भी पुराना है, जो इस इलाके के लोगों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है. अष्टमी के दिन यहां वहीं लोग पहुंचते हैं, जिनकी या तो मन्नत पूरी हो जाती है या फिर वे लोग जो माता से कुछ खास मन्नत मांगते हैं. इसके अलावा भी घर में उन्नति और खुशहाली के लिए महिलाएं माता का पिंडी पूजन करती हैं. इस विषय में पूजन करने आई बिनु देवी और सलोनी देवी ने बताया कि उनकी मनौती पूरी हुई है तो इस खुशी में जगदंबा स्थान पूजा करने आई हैं, जो एक बेहद ही पौराणिक और सिद्ध स्थान है. यहां परंपरागत तरीके से पूरी बताशा और चना से पूजा की गई है.
Reporter- DIVESH KUMAR
Source : News Nation Bureau