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शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही ये स्कूल, एक मध्य विद्यालय में 3 विद्यालय का हो रहा संचालन

मध्य विद्यालय के प्रांगण में ही एक रूम में प्राथमिक विद्यालय का संचालन तो दूसरे रूम में आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन किया जाता है यानी मध्य विद्यालय में ही 3 विद्यालय का संचालन होता है.

Updated on: 22 Dec 2022, 08:34 AM

highlights

  • स्कूल में हैं 2 शिक्षक और 95 छात्र 
  • मध्य विद्यालय में ही होता है 3 विद्यालय का संचालन 
  • बच्चों को बैठाया जाता है खुले आसमान के नीचे 

 

Lakhisarai:

लखीसराय जिले का एक सरकारी स्कूल बिहार सरकार के शिक्षा व्यवस्था के दावों की पोल खोल रही है. मध्य विद्यालय के प्रांगण में ही एक रूम में प्राथमिक विद्यालय का संचालन तो दूसरे रूम में आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन किया जाता है यानी मध्य विद्यालय में ही 3 विद्यालय का संचालन होता है. वहीं, प्राथमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी के बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. लखीसराय जिला के पिपरिया प्रखण्ड अंतर्गत डी.पी.इ.पी. प्राथमिक विद्यालय सेदपुरा पासवान टोला का हाल बदहाल है. इस स्कूल में 2 शिक्षक और 95 छात्र हैं, जबकि दूसरे विद्यालय से एक रूम लेकर इस विद्यालय में पहली से पांचवी तक की पढ़ाई होती है. इस विद्यालय का अपना भवन नहीं है यह विद्यालय मध्य विद्यालय सैदपुरा के एक रूम में संचालित किया जाता है. 

उसी रूम में प्रधानाध्यापक का कक्ष, एमडीएम का सामान रखने का कक्ष, और इसके अलावा विभिन्न प्रकार की सामग्री रखें रहने के बाद उसमें बच्चों की पढ़ाई कराई जाती है. जिस कारण वहां बच्चे बैठ नहीं पाते हैं तो उनको शिक्षकों के द्वारा खुले आसमान के नीचे बैठाया जाता है. इतना ही नहीं बैठने के लिए बच्चों को घर से प्लास्टिक का बोरा छात्र को अपने स्कूली बैग, किताब, कापी के साथ लाना पड़ता है. वरना छात्र को खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करना पड़ता है. जरा सोचिए इस ठंड के समय में खुले आसमान के नीचे बैठकर बच्चे किस तरह पढ़ाई करते होंगे.  

हैरानी की बात है कि इस विद्यालय का निरीक्षण जिलाधिकारी ने भी किया है और आश्वासन भी दिया है कि जल्द ही विद्यालय के दो भवन बनाए जाएंगे लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ है . बता दें कि खुले मैदान के नीचे ही एक कोने में स्कूल के बच्चों के लिए मध्यान भोजन बनाया जाता है. वहां, तीन खाना बनाने वाली रसोइया महिलाएं प्रतिनियुक्त हैं. लेकिन ना तो वहां बैठने का जगह है ना वहां खाना बनाने का जगह है ना वहां पानी की समुचित व्यवस्था है. वैसे जगहों पर कई गांव के बच्चे कैसे उस विद्यालय में पढ़ते हैं ये बहुत बड़ा सवाल है. 

रिपोर्ट - अजय झा