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'कोरोना से जंग में सरकार के इन तीन कदमों ने बिहार को देश में अव्वल बनाया'

सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार का अनुसरण करते हुए झारखंड ने जहां योजना प्रारंभ की है, वहीं उत्तर प्रदेश, प. बंगाल और उड़ीसा भी शुरुआत करने की तैयारी में है.

Updated on: 19 Apr 2020, 12:11 PM

पटना:

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि प्रवासियों को एक-एक हजार रुपये की मदद, स्वास्थ्य कर्मियों को एक महीने का अतिरिक्त वेतन व घर-घर जाकर प्लस पोलियो की तर्ज पर व्यापक सर्वेक्षण, स्क्रीनिंग कर संक्रमितों की पहचान करने वाला बिहार का देश का पहला राज्य है, जिसने वैश्विक महामारी कोरोना का मजबूती से मुकाबला किया है. इसी का नतीजा है कि दूसरे राज्यों की तुलना में आबादी के अनुपात में बिहार में अब तक कोरोना संक्रमित की संख्या मात्र 85 और मरने वालों की तादाद केवल दो तक सीमित है. उन्होंने कहा कि बिहार का अनुसरण करते हुए झारखंड ने जहां योजना प्रारंभ की है, वहीं उत्तर प्रदेश, प. बंगाल और उड़ीसा भी शुरुआत करने की तैयारी में है.

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सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है, जिसने कोरोना की लड़ाई में सबसे पहले चिकित्सकों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को एक महीने का अतिरिक्त वेतन देने का निर्णय लिया है. जिससे कोरोना योद्धाओं के मनोबल को बढ़ना में सफलता मिली. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत का ही नतीजा रहा कि बिहार में अब तक 37 मरीज पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं. मोदी ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है, जिसने दूसरे राज्यों में रुके प्रवासी बिहारियों के खाते में आपदा राहत कोष से विशेष सहायता के तौर पर एक-एक हजार रुपये भेजने का निर्णय लिया.

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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक आए करीब 16 लाख आवेदनों में से 11 लाख से ज्यादा प्रवासियों के खाते में राशि भेज दी गई है. उन्होंने कहा कि इस मामले में बिहार देश का पहला राज्य है, जिसने पल्स पोलियो की तर्ज पर राज्य के हॉटस्पॉट के तौर पर चिन्हित चार जिलों में 1 मार्च से पहले विदेश यात्रा से लौटकर आए लोगों के गांवों को चिन्हित कर करीब 20 हजार गांवों के एक-एक व्यक्ति और पॉजिटिव पाए गए मरीजों के घर के 3 किमी के दायरे की आबादी की सघन स्क्रीनिंग करने में सफल रहा.

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