logo-image
लोकसभा चुनाव

जातिगत जनगणना को लेकर सुशील मोदी का बड़ा बयान, कहा-'जातीय सर्वे का कोई विरोध नहीं'

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर स्पष्ट कर दिया कि वह बिहार में जातीय सर्वे कराने के विरुद्ध नहीं है.

Updated on: 28 Aug 2023, 06:22 PM

highlights

  • सुशील मोदी का बड़ा बयान
  • सेंसस केंद्र सरकार का अधिकार, बिहार के जातीय सर्वे का कोई विरोध नहीं
  • सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर केंद्र ने स्पष्ट की संवैधानिक स्थिति
  • RJD-JDU के केंद्र पर आरोप राजनीति से प्रेरित

Patna:

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर स्पष्ट कर दिया कि वह बिहार में जातीय सर्वे कराने के विरुद्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि संवैधानिक दृष्टि से इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार में कोई टकराव नहीं है, लेकिन राजद और जद-यू इस पर राजनीति कर रहे हैं. सुशील मोदी ने कहा कि बिहार सरकार ने भाजपा सहित सभी दलों की इच्छा के अनुरूप हाल में 17सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर जो सर्वेक्षण कराया, वह राज्य सरकार का अधिकार है. केंद्र सरकार ने कभी इसका विरोध नहीं किया.

ये भी पढ़ें-अश्विनी चौबे का बड़ा बयान, कहा- नीतीश कुमार का अंतिम अध्याय भी अब होगा खत्म

उन्होंने कहा कि संविधान के सेंसस ऐक्ट की धारा-3 के अनुसार सेंसस (जनगणना) कराने का अधिकार केवल केंद्र सरकार का है और भाजपा का भी यही मत है. राज्य सरकार सर्वे करा सकती है. सुशील मोदी ने कहा कि पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने भी कहा कि वह सेंसस (जनगणना) नहीं, सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने कहा कि सेंसस और सर्वे मुद्दे पर केंद्र सरकार के हलफनामा दायर कर संवैधानिक स्थिति स्पष्ट कर देने के बाद किसी को अनर्गल आरोप नहीं लगाना चाहिए, लेकिन थेथरोलॉजी करने वालों को कौन रोक सकता है?

सुशील मोदी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मैं जातीय गणना के मुद्दे पर स्पष्ट कर दिया की राज्य सर्वे या आँकड़े इकट्ठा कर सकती है परंतु सेन्सस एक्ट के तहत सेन्सस का अधिकार केवल केंद्र का है.बिहार में जातीय सर्वे का मार्ग प्रशस्त हो गया. केंद्र को बधाई!

जातीय गणना का फैसला बीजेपी का था- अश्विनी चौबे

बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर सभी राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से राजनीति करने में लगे हैं. इस बीच JDU बीजेपी के खिलाफ 1 सितंबर से पोल खोल अभियान शुरू करने की तैयारी में है, तो वहीं बीजेपी भी अब सरकार पर जल्द जातिगत गणना के आंकड़ों को जारी करने का दबाव डालने की कोशिश कर रही है. यानी जिस तरीके से जाति आधारित गणना पर राजनीति हो रही है. उसे देख ये कहना गलत नहीं होगा कि 2024 के चुनाव में सभी राजनीतिक दल इसे मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.